कई महीनों के उहापोह के बाद आखिरकार पाकिस्तान में कल (8 फरवरी, 2024) को आम चुनाव होने वाले हैं। बीते करीब एक साल से पाकिस्तान राजनीतिक, आर्थिक और यहां तक कि न्यायिक उतार-चढ़ाव का शिकार है। हालांकि चुनाव हो रहे हैं, फिर भी पाकिस्तान के बहुत से लोगों को अभी भी संशय है कि चुनाव से पाकिस्तान के हालात में क्या कोई असली बदलाव आएगा।
इस दौरान बाकी दुनिया के साथ भारत की नजर भी पाकिस्तान चुनाव पर है। भारत न सिर्फ पाकिस्तान का निकटतम पड़ोसी है, बल्कि दोनों देशों के बीच कई मुद्दे हैं जो अनसुलझे हैं। भारत सही ही आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकवादियों को शरण देता है और उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता है। जबकि पाकिस्तान कश्मीर और सिंधु जल संधि को लेकर भारत से संघर्ष करता रहा है।।
ऐसे हालात में पाकिस्तान में जो भी नया प्रधानमंत्री बनेगा, उसका भारत के प्रति रुख समझना अहम हो सकता है। पाकिस्तान के चुनाव में आइए नजर डालते हैं प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों पर और जानते हैं कि अतीत में भारत को लेकर उनका क्या रुख रहा है।
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नवाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता हैं। शरीफ अकेले पाकिस्तान नेता हैं जो बार-बार तख्ता पलट झेलते रहे देश में तीन बार प्रधानमंत्र पद पर बैठे हैं। हालांकि हर बार उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा है। 1993, 1999 और फिर 2017 में उनकी सरकार को बेदखल किया जा चुका है। उनकी पार्टी के लोग उन्हें 'पंजाब का शेर' कहकर बुलाते हैं।
भारत को लेकर रुख: नवाज शरीफ ने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में भारत के साथ शांति का वादा किया है। लेकिन इसमें एक शर्त जोड़ी है। पाकिस्तानी अखबार डान की एक खबर के मुताबिक नवाज शरीफ ने घोषणा पत्र में कहा है कि अगर भारत अगस्त 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के अपने फैसले को वापस लेता है तो उसके साथ शांति बहाली हो सकती है।
नवाज शरीफ पिछले साल ही राजनीतिक वनवास के बाद देश लौटे हैं। उन्होंने अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में भारत की प्रगति और विश्व स्तर पर बढ़ती साख का जिक्र किया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि जहां पड़ोसी भारत चांद पर पहुंच गया है, पाकिस्तान अपने अस्तित्व को ही बचाने के लिए जूझ रहा है।
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अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने पाकिस्तान के चुनावों का विश्लेषण करते हुए लिखा है कि भारत के साथ सुलह और अमन की के लिए कोशिश करने का नवाज शरीफ का एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड रहा है। इस विश्लेषण में यह भी जोड़ा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में नवाज शरीफ के लिए एक विशेष स्थान है। नवाज के कार्यकाल के दौरान, पीएम मोदी ने पाकिस्तान की एक आश्चर्यजनक यात्रा की थी, जो एक दशक से अधिक समय में पहली ऐसी यात्रा थी। इस यात्रा की काफी चर्चा उस समय हुई थी और अब भी होती रहती है।
विश्लेषण में कहा गया है कि अगर नवाज शरीफ फिर से सत्ता में आते हैं तो संभावना है कि भारत के साथ कुछ व्यापारिक रिश्ते बहाल हो सकते हैं।
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पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पुत्र बिलावल भुट्टो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन हैं। उनकी मां बेनजीर दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं और 2007 में चुनाव प्रचार के दौरान ही उनकी हत्या कर दी गई थी। बिलावल के पिता आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति रहे। वे 2008 से 2013 के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद पर रहे। लेकिन बिलावल भुट्टो को आधुनिक पीढ़ी का नेता और प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है।
2022 में बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के सबसे युवा विदेश मंत्री नियुक्त हुए थे। वे नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में विदेश मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे थे। शाहबाज शरीफ इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर कुर्सी पर बैठे थे।
भारत को लेकर रुख: अभी पिछले साल ही मई 2023 में विदेश मंत्री रहते हुए बिलावल भुट्टो ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन पर एक कांफ्रेंस करने के लिए भारत की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि था भारत जी-20 की अध्यक्षता का दुरुपयोग कर रहा है। बिलावल भुट्टो भी कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के विरोधी रहे हैं।
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हालांकि उनके कुछ वीडियो सामने आए हैं जिनमें वे भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने की वाकलत कर रहे हैं। लेकिन, भारत-कनाडा के राजनयिक तनाव के बीच भुट्टे ने कहा था कि 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब स्वीकार कर लेना चाहिए कि भारत एक कट्टर हिंदुत्ववादी देश बन गया है।'
बिलावल भुट्टे ने दिसंबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'बुचर ऑफ गुजरात' कहा था। उन्होंने यह बात भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान के बाद कही थी जिसमें जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान तो ओसामा बिन लादेन की मेहमान नवाजी करने और आतंकवाद को शह देने वाला देश है।
हिंदुस्तान टाइम्स के विश्लेषण के मुताबिक बिलावल भुट्टो जरदारी में भारत के साथ किसी भी तरह के संवाद स्थापित करने या रिश्ते सामान्य करने की परिपक्वता नहीं है।
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी नेता इमरान खान जेल में हैं। वे इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते। उन्हें कई मामलों में जेल हुई है और उनके चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) ने 2018 का चुनाव जीता था और वे प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन 2022 मं एक अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
लेकिन जेल में रहने के बावजूद चुनावों पर इमरान खान का प्रभाव साफ नजर आ रहा है। रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक इमरान खान की पार्टी पीटीआई को वोटरों की सहानुभूति और मौजूदा सरकार के खिलाफ गुस्से पर भरोसा है। उसे उम्मीद है कि इस चुनाव में भी 2018 की तरह पीटीआई की जीत होगी।
लेकिन पाकिस्तानी फौज के साथ रिश्ते बेहद खराब होने के चलते ऐसा होना मुश्किल ही लगता है।
भारत को लेकर रुख: पिछले साल जून 2023 में इमरान खान ने कहा था कि भारत के साथ बराबरी के रिश्ते होने चाहिए और बराबरी का लेनदेन होना चाहिए। उन्होंने अमेरिकी थिंक टैंक एटलांटिक काउंसिल के साथ इंटरव्यू में कहा था कि "भारत कश्मीर समस्या के समाधान का एक रोडमैप सामने रखे, तो मैं पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी की मेहमाननवाजी के लिए तैयार हूं, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा।"
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पाकिस्तान में कल होने वाले मतदान में करीब 18,000 उम्मीदवार मैदान में हैं जो पाकिस्तानी संसद नेशनल असेंबली की 336 सीटों के लिए किस्मत आजमा रहे हैं। साथ ही देश की 4 प्रांतीय विधानसभाओं के भी चुनाव हो रहे हैं। कुल 44 पार्टियां इस चुनाव में अपनी उम्मीदों के साथ मैदान में उतरी हैं।
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