जमात उद दावा के चीफ हाफिज सईद को एक मामले में पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने 31 साल जेल की सजा सुनाई है। हाफिज सईद कई आतंकवादी संगठनों के लिए काम करता रहा है। वह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा का भी मुखिया रहा है। कोर्ट ने 3.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ उसकी सारी संपत्ति जब्त करने का आदेश भी दिया है।
गौरतलब है कि मुंबई में वर्ष 2008 में हुए हमले के लिए जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के नेतृत्व वाला लश्कर-ए-तैयबा जिम्मेदार माना गया था। इस हमले में छह अमेरिकी लोगों के साथ 175 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। संयुक्त राष्ट्र ने सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया था। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित कर रखा है।
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पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक आतंकी सरगना हाफिज सईद की सारी संपत्तियों के अलावा जिन मदरसों और मस्जिदों को हाफिज सईद ने बनवाया है, उन्हें अब पाकिस्तान सरकार नियंत्रित करेगी। पाकिस्तान की सीआईडी ने हाफिज सईद और अन्य के खिलाफ आतंकवाद और फंडिंग के आरोप में केस दर्ज किए थे। इससे पहले भी विशेष आतंकवाद रोधी अदालत कई मामलों में सईद को सजा सुना चुकी है, लेकिन ऊपरी अदालतों से वो ज्यादातर बच निकला है। इससे पहले हाफिज सईद को वर्ष 2020 में15 साल की जेल एंटी टेरर कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में सुनाई थी। 70 साल के हाफिज सईद को आतंकवादी को धन मुहैया कराने के आरोप में कई केस चल रहे हैं।
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बता दें कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले ने पूरे देश दुनिया को दहला कर रख दिया था। इस आतंकी हमले का मास्टर माइंड हाफिल सईद ही था। इस घटना में भारत समेत कई देशों के नागरिकों की मौत हुई थी। आतंकियों ने मुंबई के कई प्रसिद्ध जगहों पर हमला बोला था, जिसमें ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल प्रमुख हैं। 26/11में शामिल एक आतंकी अजम कसाब को सुरक्षाबलों ने जिंदा पकड़ा था। जिसे बाद में फांसी की सजा दी गई थी। हालांकि पाकिस्तान में इस मामले की सुनवाई अब भी बेहद ही लचर गति से चल रहा है। भारत ने कई बार सुनवाई की रफ्तार बढ़ाने को कहा है, लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
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