मोदी सरकार द्वारा साल 2017-18 में हुए उपभोक्ता खर्च का सर्वे जारी नहीं करने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “पिछले साल रोजगार का डेटा दबा दिया गया था। अब उपभोग के आंकड़ों को दबाया जा रहा है। यह सरकार द्वारा पालन किया जाने वाला सूचना का अधिकार है।”
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आरोप है कि जो पत्रकार और लोग आर्थिक मुद्दों पर लिख रहे हैं उन्हें डराया जा रहा है। इस मुद्दे पर भी पी चिदंबरम ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आगे लिखा, “मैंने अपने परिवार को मेरी ओर से ये ट्वीट करने को कहा है- Mr @AatishTaseer और Mr @aakar_amnesty आप डटे रहो। धमकी से हार मत मानो, लड़ाई मत छोड़ो।”
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इससे पहले चिदंबरम ने अपने एक ट्वीट में लिखा, “सरकार को यह डर क्यों है कि मैं संसद में अपनी सीट से उठूंगा और बोलूंगा? सरकार को यह डर क्यों है कि मैं हर हफ्ते लिखूंगा और अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन को उजागर करूंगा?”
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2017-18 में हुए उपभोक्ता खर्च सर्वे लीक हुए हैं। लीक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्रामीण मांग में सुस्ती के कारण 4 दशक में पहली बार 2017-18 के दौरान उपभोक्ता खर्च में गिरावट आई। एनएसओ ने यह सर्वे जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच किया था। बता दें कि उस दौरान जीएसटी लागू हुआ था और कुछ महीने पहले ही नोटबंदी की भी घोषणा हुई थी। मोदी सरकार द्वारा उपभोक्ता खर्च सर्वे जारी नहीं करने पर विपक्ष भी हमलावर है।
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गौरतलब है कि देश के ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में पिछले चार दशकों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इसके बाद ऐसा कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार आने में काफी वक्त लग सकता है और यह सुधार तभी संभव है जब उन पर अच्छे तरीके से काम किया जाए।
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