कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार द्वारा संसद में लाये गए श्वेत पत्र को दुर्भावनापूर्ण और अनुचित राजनीतिक आलोचना करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह श्वेत पत्र नहीं बल्कि सफेद झूठ का दस्तावेज है। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य पी चिदंबरम ने शुक्रवार को दिल्ली में जारी एक बयान में कहा कि सरकार का श्वेत पत्र उसकी दूषित मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यहां तक इसे लिखने वाले भी यह दावा नहीं कर सकते कि यह एक अकादमिक और पर्याप्त शोध के बाद तैयार किया गया दस्तावेज है।
चितंबरम ने कहा कि यह एक राजनीतिक कवायद है जिसे पिछली सरकार को बदनाम करने और वर्तमान सरकार के झूठे वादों, ऐतिहासिक गलतियों नाकामियों और गरीबों के साथ किए गए धोखे को छिपाने के लिए जारी किया गया है।
चिदंबरम् द्वारा जारी बयान में आगे कहा गया है कि किसी भी कालखंड का निष्पक्ष और बिना किसी दुर्भावना के किया गया मूल्यांकन 2004 से शुरू होकर 2014 में अचानक समाप्त नहीं होगा। दरअसल इसमें 2004 से पहले के और 2014 के बाद के उचित समय को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
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उन्होंने आगे कहा कि जो श्वेत पत्र जारी किया गया है, वह कोई श्वेत पत्र नहीं है; यह एक ऐसा पत्र है जिसका उद्देश्य पिछले 10 वर्षों में एनडीए सरकार के असंख्य पापों और कृत्यों को छिपाना है। बयान में कहा गया कि इस श्वेत पत्र का उपयुक्त उत्तर '10 साल, अन्याय काल, 2014-2024' शीर्षक से कांग्रेस द्वारा जारी ब्लैक पेपर है।
इस ब्लैक पेपर को नीचे पढ़ सकते हैं।
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बयान में कहा गया है कि सत्ता संभालने के बाद किसी भी सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार की तरह बिना सोचे-समझे वादे करने और बिना खेद व्यक्त किए उन्हें तोड़ने का काम नहीं किया। आगे कहा गया है कि इस सरकार ने स्वयं उन्हें चुनावी जुमला कहकर हंसी में उड़ा दिया। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
हर वर्ष 2 करोड़ नौकरियां
100 दिनों में विदेशों में जमा काला धन वापस लाना
हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रु डालना
पेट्रोल, डीज़ल 35 रुपए प्रति लीटर
किसानों की आय दोगुनी होगी
2023-24 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना
हर परिवार को 2022 तक घर
2022 तक 100 स्मार्ट सिटी
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कांग्रेस नेता ने बयान में आगे कहा है कि 2004 में यूपीए सरकार को एक ऐसी अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी जिसका प्रदर्शन पिछले 6 वर्षों में औसत से भी कम रहा था। फिर भी पूर्ववर्ती वाजपेयी सरकार ने उस समय को 'इंडिया शाइनिंग' कहा था। यह नारा सरकार पर खुद ही भारी पड़ा था और बीजेपी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि 'सफ़ेद-झूठ पत्र' के लेखकों को यह एहसास होना चाहिए कि इतिहास खुद को दोहराता है।
उन्होंने कहा कि हर सरकार अपने से पिछली सरकार या सरकारों के काम से प्रभावित होती है। उदाहरण के तौर पर, जवाहरलाल नेहरू और उनके सहयोगी न होते तो भारत एक संसदीय लोकतंत्र नहीं होता। हर सरकार पूर्ववर्ती सरकारों के काम को आगे बढ़ाती है। 'सफ़ेद-झूठ पत्र' के लेखकों ने इस मौलिक सत्य को ध्यान में नहीं रखा।
बयान में आगे यूपीए और एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की प्रगति या आंकड़ों को तुलनात्मक तरीके से पेश किया गया है। पी चिदंबरम ने कहा कि इन आंकड़ों को देखने के बाद इस झूठ का अंत हो जाएगा कि पहले सबकुछ काला था और अब सबकुछ सफेद है।
तुलनात्मक सूची नीचे दी गई है:
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पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि एक आंकड़ा जो अर्थव्यवस्था की स्थिति का सार बताता है, वह है जीडीपी विकास दर। उन्होंने कहा कि 2004-2009 के बीच भारत ने 8 प्रतिशत की विकास दर हासिल की थी, जोकि इससे पहले कभी नहीं हुआ था। इसी तरह 2004-2014 की 10 साल की अवधि में विकास दर 7.5 फीसदी रही, वह भी इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि 2005-06 और 2007-08 के बीच तीन वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के 'विकास का स्वर्णिम दौर' था जब जीडीपी ने 9.5 प्रतिशत की औसत से 9 प्रतिशत या उससे अधिक की दर हासिल की थी। इसी तरह भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपना सर्वश्रेष्ठ राजकोषीय प्रदर्शन 2007-08 में किया जब राजकोषीय घाटा सिर्फ 2.5 प्रतिशत और राजस्व घाटा सिर्फ 1.1 प्रतिशत था।
उन्होंने कहा कि इस सफ़ेद-झूठ पत्र के बारे में हमारे पास कहने के लिए और भी बहुत कुछ है। हम आज इतना ही बताएंगे और आने वाले दिनों में अन्य तथ्य सामने रखने का वादा करते हैं।
इस बयान को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में नीचे दिए लिंक में पढ़ सकते हैं:
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