सीबीआई की विशेष अदालत ने आईएएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 19 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। विशेष अदालत ने कहा है कि भूतपूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को अलग सेल में रखा जाए। उन्हें जेड सिक्योरिटी प्राप्त है, इसलिए जेल में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हों। सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रही हैं।
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इससे पहले कोर्ट द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने पर चिदंबरम से पूछा गया कि आप क्या कहना चाहते हैं तो उन्होंने कहा- मुझे केवल इकोनॉमी की चिंता है। इससे पहले चिदंबरम जीडीपी के विकास दर में गिरावट पर चिंता जता चुके हैं।
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पी. चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत नहीं मिलने को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। वहीं सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की अपील की थी। जबकि पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हमने सबूतों से छेड़छाड़ की, इसका कोई सबूत नहीं है। चिदंबरम सरेंडर करेंगे और ईडी को उन्हें पूछताछ के लिए कस्टडी में लेना चाहिए। उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की क्या जरूरत है।
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इससे पहले सीबीआई अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस केस में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने यह फैसला ईडी और सीबीआई दोनों से जुड़े मामलों में दिया है। साथ ही अदालत ने चिदंबरम और कार्ति को निर्देश दिया है कि वे जांच एजेंसियों का सहयोग करें। जज ओपी सैनी ने ईडी से कहा कि 2018 में केस दर्ज करने के बाद आपने जांच के लिए कई बार तारीखें बढ़वाई। जांच में वैसे ही काफी देरी हो चुकी है और शुरुआत से ही सभी दस्तावेज आपके पास हैं। इसकी कोई संभावना नहीं है कि चिदंबरम ने ऐसा कोई अपराध किया है, जबकि वे सरकार में किसी पद पर नहीं हैं। उन पर 1.13 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप गंभीर नहीं हैं। जबकि दयानिधि मारन के खिलाफ रिश्वत का आरोप है, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
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