आज के दौर में जहां कई लोग अपने परिजनों को भूल जाते हैं, वहीं न्यूजीलैंड में रहने वाले बिहार के पूर्णिया के एक व्यक्ति ने अपने पालतू कुत्ते की मौत के बाद न केवल गया आकर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया, बल्कि पटना में गंगा नदी की धारा में उसकी अस्थियां भी विसर्जित की।
बिहार में पूर्णिया के मधुबनी मुहल्ले के रहने वाले प्रमोद चौहान का पशु प्रेम यहां के लोगों के लिए आज चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्णिया के रहने वाले प्रमोद कई सालों से न्यूजीलैंड में रहते हैं। प्रमोद ने न्यूजीलैंड में एक कुत्ता पाल रखा था, जिसका नाम लाइकन था। लाइकन उनके परिवार का 10 सालों से एक ऐसा सदस्य रहा, जिसका गुजरना प्रमोद चौहान और उनके परिवार के लिए किसी परिजन के गुजरने जैसा अहसास दे गया।
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कुत्ते के मौत से दुखी प्रमोद ने हिन्दू रीति के साथ वैसी ही परंपरा लाइकन के गुजर जाने के बाद निभाई, जो किसी परिजन के गुजर जाने के बाद परिवार वाले निभाते हैं। लाइकन के गुजरने के बाद पहले वहां हिन्दू रीति से उसे जलाया और फिर उसकी अस्थियां लेकर वह भारत आए और पटना के पास बड़े ही मार्मिक अंदाज में उसे गंगा नदी में प्रवाहित किया।
इतना ही नहीं वे मोक्षस्थली गया भी गए और लाइकन के मोक्ष के लिए वहां के विष्णुपद मंदिर के बाहर उसका पिंडदान और श्राद्ध भी किया। प्रमोद अब लाइकन के श्राद्ध के तीस दिन बीतने का इंतजार कर रहे हैं और वह उस दिन अपने तमाम परिचितों और परिजनों के साथ भंडारा भी करेंगे।
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प्रमोद के इस पशु-प्रेम के प्रसंग पर उनके परिचित काफी प्रसन्न हैं और पूर्णिया में जो भी उनकी यह कहानी सुन रहा है, वह उनकी इंसानियत को सलाम कर रहा है। प्रमोद चौहान के मित्र समीर सिन्हा और इलाके के किसान हिमकर मिश्र कहते हैं कि प्रमोद चौहान के पशु प्रेम का यह प्रसंग अद्भुत तो है ही, मानवता के लिए प्रेरक भी है। साथ ही इंसान और पालतू पशुओं के बीच के प्रेम का प्रमाण और उदाहरण भी है।
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प्रमोद ने अपने कुत्ते के प्रति प्रेम के भाव में जो कुछ भी किया है, उसे देखते हुए लोगों के बीच में उनकी प्रशंसा होना स्वाभाविक भी है और जरूरी भी। प्रमोद के बचपन के मित्र मिश्र कहते हैं, "प्रमोद बचपन से ही पशु प्रेमी रहे हैं। आज उनका यह प्रेम देखकर लोग भावुक हो जा रहे हैं। आज यह पशु प्रेम क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।"
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