पंजाब में 2,500 चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई हैं। हड़ताल पर बैठे डॉक्टर "सुनिश्चित करियर प्रगति योजना" की मांग कर रहे हैं। हालांकि, आपातकालीन और गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) के कर्मचारी हड़ताल में शामिल नहीं हैं।
सरकार के साथ बातचीत नहीं बनने के बाद पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (पीसीएमएसए) ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया। एसोसिएशन ने सुबह 8 बजे से 11 सितंबर तक तीन घंटे के लिए बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) बंद रखने की अपील की।
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वहीं, सरकार ने डॉक्टरों से हड़ताल टालने की अपील करते हुए कुछ और समय मांगा है। पीसीएमएसए के अध्यक्ष डॉ. अखिल सरीन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो 12 सितंबर से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप कर दी जाएंगी।
उन्होंने कहा, "शुरू में हमने 9 सितंबर से ओपीडी सेवाओं को पूरी तरह से सस्पेंड करने की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार के अनुरोध पर हम रुक गए। उन्होंने हमें 11 सितंबर को पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा के नेतृत्व वाली कैबिनेट उप-समिति के साथ होने वाली बैठक तक रुकने को कहा।"
पिछले सप्ताह पीसीएमएसए और सरकार के बीच हुई वार्ता में सुनिश्चित करियर प्रगति योजना की बहाली और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सुरक्षा प्रावधान पर अधिसूचना जारी करने की मांग की गई थी।
पिछले सप्ताह स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह के साथ पीसीएमएसए की बैठक भी कोई ठोस निर्णय लेने में विफल रही।
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पीसीएमएसए के अनुसार, सुनिश्चित करियर प्रगति योजना की बहाली पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका उद्देश्य चिकित्सा अधिकारियों के नियमित वेतन को बहाल करना है, जो संवर्ग की स्थापना के समय से इसका हिस्सा रहे हैं। पीसीएमएसए का कहना है कि राज्य में डॉक्टरों की वर्तमान संख्या 4,600 स्वीकृत पदों के मुकाबले 2,800 है।
सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी एक बड़ा मुद्दा है, एसोसिएशन ने बताया कि सैकड़ों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिना किसी सुरक्षा गार्ड के चल रहे हैं।
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