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सेंट्रल विस्टा पर हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, महामारी के दौरान जारी रखने पर सवाल

प्रदीप कुमार यादव द्वारा दायर याचिका में हाईकोर्ट के 31 मई के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि परियोजना पर काम राष्ट्रीय महत्व का है और इसे नवंबर 2021 तक समयबद्ध कार्यक्रम के भीतर पूरा किया जाना है।

फोटोः IANS
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कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना को रोकने की याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। प्रदीप कुमार यादव द्वारा दायर याचिका में हाईकोर्ट के 31 मई के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि परियोजना पर काम राष्ट्रीय महत्व का है और इसे नवंबर 2021 तक समयबद्ध कार्यक्रम के भीतर पूरा किया जाना है।

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सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के संबंध में निर्माण गतिविधि को रोकने की मांग करने वाली याचिका में याचिकाकतार्ओं की गलत मंशा और बोनाफाइड की कमी थी। साथ ही याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुमार्ना भी लगाया गया था। यादव हाईकोर्ट की कार्यवाही में पक्षकार नहीं थे।

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प्रदीप यादव की याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का यह कहना न्यायोचित नहीं था कि व्यक्तिगत रिट याचिकाकतार्ओं द्वारा दायर जनहित याचिका को प्रेरित किया गया था और सिद्ध भौतिक तथ्यों और सबूतों के अभाव में अनुमान और धारणा बनाकर पेश किया गया था और कोई वास्तविक सार्वजनिक कारण नहीं था। दलील में तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट इस बात को मानने में विफल रहा कि बड़ी संख्या में निर्दोष मजदूर श्रमिकों के साथ एक बड़ा निर्माण कार्य चरम कोविड महामारी अवधि के दौरान अपना काम जारी रखता है तो एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।

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यादव की याचिका ने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पुनर्विकास परियोजना की चल रही निर्माण गतिविधियों की आवश्यकता के उच्च न्यायालय के मूल्यांकन पर सवाल उठाया, विशेष रूप से चरम कोरोना महामारी और पूर्ण लॉकडाउन अवधि के दौरान जैसा कि डीडीएमए के आदेश में 19 अप्रैल को निर्धारित किया गया था। याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट का यह कहना उचित नहीं था कि सेंट्रल विस्टा परियोजना चरम कोरोना महामारी संकट के दौरान आवश्यक गतिविधियां है, जब पूरे देश ने लॉकडाउन अवधि के दौरान आवश्यक कामकाज बंद कर दिया है।

प्रदीप यादव की याचिका में तर्क दिया गया है कि उच्च न्यायालय का यह कहना उचित नहीं था कि याचिका सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पुनर्विकास परियोजना की निर्माण गतिविधियों को रोकने के लिए एक प्रेरणा के साथ दायर की गई थी, खासकर जब याचिकाकतार्ओं की याचिका और प्रार्थना स्पष्ट रूप से केवल निर्माण गतिविधियों को निलंबित करने के लिए थी।

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