संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर जारी की गई नई गाइडलाइन को लेकर जो अंदेशा लगाया जा रहा था वो सही साबित होने लगा है। उम्मीद थी कि सरकार द्वारा जिन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है उसपर बवाल होना तय है, ऐसा ही कुछ होता भी दिख रहा है।
नई गाइडलाइन सामने आने के बाद अब विपक्ष एक बार फिर सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, राहुल गांधी से लेकर, टीएमसी के नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
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कांग्रेस का कहना है कि 'जुमलाजीवी' से किसको डर होगा- जिसने जुमले दिए हों। 'जयचंद' शब्द से कौन डरेगा- जिसने देश से धोखा किया हो। ये संसद में शब्द बैन नहीं हो रहे हैं, पीएम मोदी का डर बाहर आ रहा है।
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वहीं प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार की मंशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं; भ्रष्टाचार को 'मास्टरस्ट्रोक' बोला जाए "2 करोड़ रोजगार", "किसानों की आय दुगनी" जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं; 'थैंक यू' बोला जाए
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उधर राहुल गांधी ने संसद में भ्रष्ट, जुमलाजीवी जैसे शब्दों पर बैन को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा- नए भारत के लिए नया शब्दकोश
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तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने अपने ट्वीट में कहा है कि संसद में अपनी बात रखते हुए अब हमें इन मूल शब्दों-शर्मिंदा, धोखा, भ्रष्ट, अक्षम, दिखावा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। टीएमसी नेता ने कहा कि वह इन शब्दों का इस्तेमाल करेंगे।
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वहीं टीएमसी की वरिष्ठ नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, "आपका मतलब है कि मैं लोकसभा में खड़ी नहीं हो सकती और यह बात नहीं कर सकती कि एक अक्षम सरकार ने भारतीयों को कैसे धोखा दिया है, जिन्हें अपनी हिपोक्रेसी पर शर्म आनी चाहिए?"
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मोइत्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'बैठ जाएं। बैठ जाइये। प्रेम से बोलें। लोकसभा और राज्यसभा की नई असंसदीय शब्दों की सूची में संघी शब्द शामिल नहीं है। मूल रूप से सरकार ने विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिए यह काम किया है। कैसे भाजपा भारत को नष्ट कर रही है और उन पर प्रतिबंध लगा रही है।'
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वहीं इसके अलावा, शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने पुराने मीम का जिक्र कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि यह पुराना मीम याद आ गया। अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ वाह मोदी जी वाह! यह मीम अब हकीकत सा लगता है!
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नई गाइडलाइंस के अनुसार सांसदों को अपनी भाषा और कुछ शब्दों पर ध्यान देना होगा। संसद के दोनों सदनों में सदस्य अब चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू, कोरोना स्प्रेडर जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा भी नहीं होंगे।
बुकलेट के अनुसार लोकसभा सचिवालय ने ‘दोहरा चरित्र’, ‘निकम्मा’, ‘नौटंकी’, ‘ढिंडोरा पीठना’ और ‘बिहरी सरकार’ जैसे शब्दों को असंसदीय अभिव्यक्तियों के रूप में सूचीबद्ध किया है। इन शब्दों के अलावा संसद में निशाना साधने के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द जैसे बाल बुद्धि, स्नूपगेट के प्रयोग पर भी रोक रहेगी। यहां तक कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शर्म, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, ड्रामा, पाखंड और अक्षम जैसे शब्द अब लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय माने जाएंगे।
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सचिवालय द्वारा असंसदीय के रूप में सूचीबद्ध कुछ अंग्रेजी शब्दों में ‘रक्तपात’, ‘खूनी’, ‘विश्वासघात’, ‘शर्मिंदा’, ‘दुर्व्यवहार’, ‘धोखा’, ‘चमचा’, ‘चमचागिरी’, ‘चेला’, ‘बचकानापन’ शामिल हैं। ‘, ‘भ्रष्ट’, ‘कायर’, ‘अपराधी’ और ‘मगरमच्छ के आँसू’। इसके अलावा ‘अपमान’, ‘गधा’, ‘नाटक’, ‘चश्मदीद’, ‘धोखा’, ‘गुंडागर्दी’, ‘पाखंड’, ‘अक्षम’, ‘भ्रामक’, ‘झूठ’ और ‘असत्य’ जैसे शब्दों का भी निषेध रहेगा। अब से संसद में उपयोग के लिए। असंसदीय के रूप में सूचीबद्ध कुछ हिंदी शब्दों में ‘अराजकतावादी’, ‘गदर’, ‘गिरगिट’, ‘गुंडे’, ‘घड़ियाली अनु’, ‘अपमान’, ‘असत्य’, ‘अहंकार’, ‘भ्रष्ट’, ‘काला दिन’ शामिल हैं। ‘, ‘काला बाजारी’ और ‘खरीद फारोख्त’।
इसके अलावा, ‘दंगा’, ‘दलाल’, ‘दादागिरी’, ‘दोहरा चरित्र’, ‘बेचारा’, ‘बॉबकट’, ‘लॉलीपॉप’, ‘विश्वासघाट’, ‘संवेदनहीन’, ‘मूर्ख’, ‘पित्तू’, जैसे शब्द हैं। बेहरी सरकार’ और ‘यौन उत्पीड़न’ को असंसदीय माना जाएगा और इसे रिकॉर्ड के हिस्से के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा।
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देश में विभिन्न विधान निकायों के साथ-साथ राष्ट्रमंडल संसदों में अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर कुछ शब्दों और अभिव्यक्तियों को असंसदीय घोषित किया जाता है, भविष्य में तत्काल संदर्भ के लिए लोकसभा सचिवालय द्वारा संकलित किया गया है।
बता दें कि राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष सत्र के दौरान सदन में बोले गए शब्दों की समीक्षा करते हैं और सभापति द्वारा असंसदीय शब्दों को हटा दिया जाता है। ऐसे शब्द लोकसभा और राज्य सभा दोनों के संसद रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनते हैं।
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