केंद्र की मोदी सरकार ने देश का आम बजट पेश किया। इस दौरान वित्त मंत्री ने कई बड़े लोकलुभावने वादे किए। आपको बता दे, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार का ये आखिरी पूर्णकालिक बजट था। वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए इस बजट पर अब विपक्ष की प्रतिक्रिय भी आने लगी है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेता इस बजट से नाखुश नजर आए।
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कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह बजट देश की वास्तविक भावना को संबोधित नहीं कर रहा है जो कि बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि है। इसमें केवल फैंसी घोषणाएं थीं जो पहले भी की गई थीं लेकिन कार्यान्वयन के बारे में क्या? पीएम किसान योजना से सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा हुआ किसानों को नहीं।
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कांग्रेस सांसद गौरव गोगई ने कहा कि इस बजट से गरीब को सिर्फ शब्द और लफ्फाजी मिली। मंहगाई, बेरोजगारी का कोई समाधान नहीं। उन्होंने आगे कहा कि बजट का फायदा बड़े उद्योगपतियों को ही होता है। टैक्स पर गोगोई ने कहा कि महंगाई को देखते हुए 7 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मध्यम वर्ग के लिए समुद्र में बूंद की तरह है।
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वहीं JDU सांसद राजीव रंजन ने कहा कि इस बजट में कुछ भी नहीं है। यह 'सपनों का सौदागर' जैसा है। उन्होंने कहा कि जब आप सपने के बाद जागते हैं तो कुछ भी सच नहीं होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी को कैसे नियंत्रित किया जाए, इस बारे में इस बजट में कुछ भी नहीं बताया गया।
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वहीं समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि यह चुनावी बजट है, किसानों के लिए कुछ नहीं है। किसानों की एमएसपी की बात नहीं की है। रेलवे को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है। आधी से ज्यादा आबादी गांव में बसती है लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया है। ये बहुत ही निराशाजनक बजट है।
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वहीं अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि “बीजेपी अपने बजट का दशक पूरा कर रही है पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी। भाजपाई बजट महंगाई व बेरोजगारी को और बढ़ाता है। किसान, मजदूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए बनता है।”
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उधर, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह बजट वही है जो पिछले 8-9 साल से आ रहा था। टैक्स बढ़ाए गए, कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है। कुछ सांठगांठ वाले पूंजीपतियों और बड़े कारोबारियों के लिए टैक्स वसूला जा रहा है। जनता को टैक्स से फायदा होना चाहिए, लेकिन इससे उसकी कमर टूट रही है।
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बसपा प्रमुख मायावती ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोअर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद।” उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। पिछले साल की कमियां कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दांव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?
बसपा मुखिया ने कहा कि सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीब किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं। सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दे ताकिआमजन की जेब भरे। मायावती ने कहा कि केन्द्र जब भी योजना लाभार्थियों के आंकड़ों की बात करता है तो उसे जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर।
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बजट पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि ये बजट निल बट्टा सन्नाटा है, बिहार के लिए कुछ नहीं है। केंद्र में बिहार के जितने सांसद हैं उन्हें शर्म से डूब जाना चाहिए। किसानों के लिए, रेलवे के लिए कुछ नहीं है। UPA की सरकार में बिहार को जितना दिया जाता था क्या इस सरकार ने दिया?
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बजट पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि मैंने वित्त मंत्री को कई बार कहा है कि जब भी बजट बनाएं तो अनुच्छेद 39 को देख लें। संविधान से आंखें मूंद कर स्तुति गान वाला बजट बनाते हैं तो कुछ हासिल नहीं होगा। रोजगार के लिए आपने गोल-गोल बातें की। ये बजट खास लोगों का खास लोगों द्वारा खास तरह से बनाया बजट है। कांग्रेस सांसद के सुरेश कहा कि बजट 2023 कॉर्पोरेट समर्थक बजट है। इस बजट में अडानी के सारे हित पूरे हैं, लेकिन आम आदमी की उपेक्षा की गई है. यह बजट अडानी, अंबानी, गुजरात के लिए है।
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