राज्यसभा में अव्यवस्था और विपक्षी सांसदों के साथ दुर्व्यवहार की कथित घटना के एक दिन बाद गुरुवार को कांग्रेस, शिवसेना समेत कई विपक्षी दलों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने सदन के सभापति एम. वेंकैया नायडू से मिलकर इस मुद्दे को उठाया और कार्रवाई की मांग की। इस बैठक के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "हमने सभापति को कल हुई घटना के बारे में अवगत कराया है, क्योंकि 40-50 लोगों को बाहर से लाया गया था और महिला सांसद हाथापाई की गई।"
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वहीं घटना के संबंध में 14 विपक्षी नेताओं द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि, "यह सरकार है, जो गतिरोध के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। सरकार ने विपक्ष की दोनों सदनों में एक सूचित बहस की मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। सरकार ने अपने बहुमत का इस्तेमाल अपने पक्ष को आगे बढ़ाने और विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए किया।
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वहीं बुधवार को राज्यसभा में हुई घटना के विरोध में गुरुवार की सुबह राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं नें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक की। बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया। इस दौरान कई नेताओं ने बैनर और तख्तियां ले रखी थीं, जिसमें सरकार से लोकतंत्र पर हमला बंद करने की मांग की गई थी।
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इधर सरकार के मंत्रियों- पीयूष गोयल, प्रल्हाद जोशी और मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को राज्यसभा की घटना के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया। गोयल ने बुधवार को मांग की कि सभापति को सांसदों के व्यवहार की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन करना चाहिए, जैसा कि पहले लोकसभा में किया गया था और 'सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। केवल निलंबन से काम नहीं चलेगा।
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