राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली पुलिस के साथ झड़प और कुछ प्रदर्शनकारी किसानों के उपद्रव की विपक्षी दलों ने निंदा की है और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की। कुछ विपक्षी नेताओं ने दिल्ली में उत्पात की घटना को मोदी सरकार की विफलता करार दिया।
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एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आज की घटना पर कहा कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सरकार ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। उनका संयम खत्म हो गया, जिसके बाद उन्होंने ट्रैक्टर मार्च निकाला। कानून और व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदार थी, लेकिन वो विफल रही। उन्होंने आगे कहा कि आज जो भी हुआ उसका समर्थन कोई नहीं करेगा, लेकिन इसके पीछे के कारणों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार समझदारी दिखाए और सही फैसले ले।
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कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने एक ट्वीट में कहा, "सरासर अराजकता, बिल्कुल नियम विरुद्ध और पूरी तरह गड़बड़!" उन्होंने आगे लिखा, "यह सरकार की अक्षमता, कुप्रबंधन और अपराध को परिभाषित करती है। सरकार ने दुनिया को सिखाया है कि एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को भीड़तंत्र में कैसे बदला जाता है।"
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एक अन्य कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि इस तरह के कृत्यों से विरोध कमजोर पड़ जाएगा। उन्होंने कहा, "शांति किसी भी विरोध की ताकत है और जब आप हिंसा पर उतारू हो जाते हैं तो कमजोर हो जाते हैं। दोनों पक्षों (प्रदर्शनकारियों और पुलिस) से शांत रहने का आग्रह करता हूं। लोकतंत्र के धर्म का पालन करें, क्योंकि जब जान चली जाती है और राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो नुकसान पूरे देश का होता है।"
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शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "यह दुखद है कि लोग लाल किले को अपवित्र करने वालों का बचाव कर रहे हैं। माफी मांगने वालों, लाल किले के लिए केवल एक झंडा है और वह राष्ट्रीय ध्वज है, जो हमारे ऐतिहासिक स्मारक की प्राचीर से ऊंचा उड़ना चाहिए। हालांकि हो सकता है, इस तरह के विरोध प्रदर्शन का कोई मजबूत कारण हो।"
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वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने एक प्रदर्शनकारी किसान की मौत पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "पुलिस फायरिंग में एक प्रदर्शनकारी की मौत का पता चला। अधिकारियों को संयम बरतने के लिए पुलिस से आग्रह करना चाहिए। हिंसा कुछ भी नहीं सुलझाती है। हमें लोकतांत्रिक साधनों के माध्यम से इस संकट का समाधान करना चाहिए, न कि बलपूर्वक।"
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वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने आईटीओ पर किसानों पर अत्यधिक बल प्रयोग के लिए पुलिस की आलोचना की। लाल किले पर उपद्रव से पहले की एक प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा, "किसानों पर आंसूगैस और लाठीचार्ज किया जाना अस्वीकार्य है। दिल्ली पुलिस और संयुक्त किसान मोर्चा में समझौते के बाद ऐसा क्यों? सरकार उन्हें टकराव के लिए क्यों उकसा रही है? उन्हें शांतिपूर्ण परेड को जारी रखने की अनुमति देनी चाहिए।"
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