राज्यसभा में 6 फरवरी को उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई, जब विपक्षी दल के नेताओं ने सभापति वेंकैया नायडू के खिलाफ हो मोर्चा खोल दिया। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सभापति विपक्ष को सदन में जनता की हितों से जुड़े मुद्दे उठाने नहीं देते हैं। इस आरोप को लेकर विपक्षी नेताओं ने मंगलवार को दिनभर के लिए राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। कांग्रेस के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके जैसे दलों ने भी नायडू का बहिष्कार करने का ऐलान किया। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि अगर सभापति वेंकैया नायडू का यही रवैया रहा तो तो वे उचित कदम उठाने को विवश होंगे।
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राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “सभापति सदन में हमें लोकहित के मुद्दे नहीं उठाने दे रहे हैं, यह सही नहीं है। इसलिए इस मुद्दे पर एकजुट विपक्ष ने आज दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सभापति सदन की कार्यवाही में संसदीय नियमों को नहीं मान रहे हैं। विपक्ष के इस कदम पर सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा, “जिस तरह से राज्यसभा की कार्यवाही चलाई जा रही है, उसमें विपक्षी पार्टियों की आवाज को दबाया जा रहा है। हम लोगों की आवाज उठाने यहां आए हैं। अगर हमें ही आवाज नहीं उठाने दिया जाएगा, तो फिर संसद का क्या मतलब रह जाएगा।” वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि राज्यसभा के सभापति का रवैया अलोकतांत्रिक है।
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