हालात

एससी-एसटी कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले, सौंपा ज्ञापन

हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया।

फोटोः नवजीवन
फोटोः नवजीवन  राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद प्रेस से बात करते विपक्षी दल के नेता

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी कानून के तहत दर्ज मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ विपक्षी दलों के नेता 28 मार्च की शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इस मुलाकात में विपक्षी दलों के नेता सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को लेकर अपनी चिंताएं राष्ट्रपति के समक्ष रखी और एक ज्ञापन भी सौंपा।

Published: 28 Mar 2018, 5:12 PM IST

इस पहले मुलाकात के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट कर जानकारी दी थी। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “पूरे भारत में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों की पृष्ठभूमि में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम में गिरफ्तारी के प्रावधानों को खत्म करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। विपक्षी दलों के नेता इसको लेकर अपनी चिंताएं साझा करने के लिए आज शाम राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात करेंगे।”

Published: 28 Mar 2018, 5:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत होने वाली तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसे फैसले के बाद बीजेपी में विरोध के सुर भी उठे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर बीजेपी के अंदर से भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। उत्तर पश्चिम-दिल्ली से लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया कंफेडरेशन फॉर एससी-एसटी के अध्यक्ष उदित राज ने एससी-एसटी कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताते हुए नवजीवन से कहा था कि केंद्र सरकार को इस संबंध में तत्काल एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल करनी चाहिए या फिर संसद में इस संबंध में एक बिल लाना चाहिए। वहीं, बीजेपी के एसटी मोर्चा के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने भी सरकार से मांग की थी कि वह सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करें। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी केंद्र से इस मामले में जल्द ही याचिका दायर करने का अनुरोध किया है। उन्होंने इस फैसले के आने के बाद कहा था, “सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अनुसूचित जाति और जनजातियों में बहुत अधिक नाराजगी है और सरकार को जल्द पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए।”

पिछले साल की नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधिक मामलों में 2015 के मुकाबले 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2016 में कुल 40,801 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2015 में ये आंकड़ा 38,670 तक ही था।

Published: 28 Mar 2018, 5:12 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 28 Mar 2018, 5:12 PM IST