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नौकरशाही में 'लैटरल एंट्री' पर बिफरा विपक्ष, अखिलेश यादव बोले- इसे वापस ले सरकार, 2 अक्टूबर से आंदोलन की दी चेतावनी

अखिलेश यादव ने कहा कि देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि बीजेपी सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

नौकरशाही में 'लैटरल एंट्री' को लेकर विपक्ष, केंद की मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है। दरअसल यूपीएससी ने केंद्र सरकार की नौकरशाही में लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला है। इसे लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर लगातार निशाने साध रहा है। अब इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में लिखा, "बीजेपी अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।"

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उन्होंने कहा, "ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे। दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के खिलाफ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है।"

अखिलेश यादव ने कहा, "बीजेपी सरकार इसे तत्काल वापस ले, क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। बीजेपी अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।"

आंदोलन की चेतावनी देते हुए अखिलेश यादव ने आगे कहा, "देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि बीजेपी सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।"

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने भी इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने एक्स पोस्ट किया, "बाबा साहेब के संविधान एवं आरक्षण की धज्जियां उड़ाते हुए नरेंद्र मोदी और उसके सहयोगी दलों की सलाह से सिविल सेवा कर्मियों की जगह अब संघ लोक सेवा आयोग ने निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर पर नियुक्ति के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला है।"

उन्होंने आगे लिखा, "इसमें कोई सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकता। इसमें संविधान प्रदत कोई आरक्षण नहीं है। कारपोरेट में काम कर रहे बीजेपी की निजी सेना यानि खाकी पेंट वालों को सीधे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का यह "नागपुरिया मॉडल” है। संघी मॉडल के तहत इस नियुक्ति प्रक्रिया में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। वंचितों के अधिकारों पर NDA के लोग डाका डाल रहे है।"

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