उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 7 सीटों के लिए कल (मंगलवार, 3 नवंबर को) मतदान होगा। ऐसे में विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के अफसरों और कर्मचारियों को सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए वोट करने के निर्देश दिए गए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरनाथ अग्रवाल ने आरोप लगाया कि, “यह चुनावों धांधली करने की साजिश है। बीजेपी सरकार सरकारी कर्मचारियों और अफसरों को उपचुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल कर रही है।”
वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी आरोप लगाया कि ग्राम प्रधानों, सरकारी राशन की दुकान वालों, लेखपालों और निचले ओहदे वाले पुलिस कर्मचारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि साम, दाम दंड भेद का इस्तेमाल कर लोगों को सत्तारूढ़ दल के वोट करने का दबाव बनाए। अखिलेश यादव ने कहा कि, “योगी सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री को खुलेआम अफसरों और कर्मचारियों को यह कहते सुना गया कि वे बीजेपी के पक्ष में वोटिंग कराएं। यह चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।” अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से इस मामले का संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करने और केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों की तैनाती करने की मांग की ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सकें।
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अखिलेश यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के मंत्री चुनाव वाले इलाकों का दौरा कर मतदान के प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, “मुख्यमंत्री ने इन मंत्रियों को खासतौर से यह काम सौंपा है ताकि वे अपने अपने विभाग के कर्मचारिंयों पर दबाव बना सकें। ये मंत्री इस मामले में मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन कर रहे हैं।”
उधर कांग्रेस के प्रवक्ता वीरेंद्र मदान ने भी कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल चुनावों को प्रभावित करने के लिए हर हथकंडा अपना रहा है। उन्होंने कहा, “बीजेपी लोकतांत्रिक परंपराओं और सौम्यता का पालन नहीं करती हैं और सत्ता हथियाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है।”
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 7 सीटों के लिए 3 नवंबर को मतदान होना है। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें जौनपुर की मल्हानी, टुंडला (फिरोजाबाद), बुलंदशबर, नौगवां सादात (अमरोहा), घाटमपुर (कानपुर सिटी), बांगरमऊ (उन्नावः और देवरिया शामिल हैं। इनमें से मल्हानी सीट से पहले समाजवादी पार्टी का विधायक थे जबकि बाकी 6 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी।
इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष दोनों की ही प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, क्योंकि 2022 के मुख्य विधानसभा चुनाव से पहले इसे मिनी चुनाव कहा जा रहा है। उपचुनाव में बिल्कुल आखिरी वक्त पर एंट्री करने वाली बीएसपी और मायावती की बीजेपी के साथ बढ़ती नजदीकियों से यह चुनाव और रोचक हो गया है। इसके अलावा इस चुनाव से कांग्रेस की भी उम्मीदें बढ़ी हैं जो बीते कुछ समय से जनता के मुद्दों को लेकर सड़क पर है।
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