कांग्रेस ने कहा कि उसे उम्मीद है कि पीएम मोदी भारत-कनाडा संबंधों के बिगड़ते ‘अत्यंत संवेदनशील और नाजुक मुद्दे’ पर संसद के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष और अन्य दलों के नेताओं को विश्वास में लेंगे।
विपक्षी पार्टी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत ने कनाडा से भारतीय उच्चायुक्त और कुछ अन्य अधिकारियों को वापस बुलाने के कुछ घंटों बाद कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की। कनाडा के राजनयिकों को 19 अक्टूबर की रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।
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विदेश मंत्रालय ने कनाडा के प्रभारी राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर्स को तलब करने के कुछ ही देर बाद फैसले की घोषणा की। व्हीलर्स को स्पष्ट रूप से संदेश दिया गया कि भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को निराधार तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कांग्रेस निश्चित रूप से आशा और अपेक्षा करती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत-कनाडा संबंधों के बिगड़ते अत्यंत संवेदनशील और नाजुक मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को विश्वास में लेंगे।’’ राहुल गांधी जहां लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
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भारत ने भारतीय उच्चायुक्त वर्मा के खिलाफ आरोपों को ‘‘मनगढ़ंत’’ और ‘‘बेतुका’’ बताते हुए इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा बताया, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक ‘‘राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में एक मामले के सिलसिले में चल रही जांच की ‘निगरानी’ में हैं’’।
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