बुधवार सुबह जब न्यूज एजेंसियों, टीवी चैनलों ने चिल्लाकर-चिल्लाकर मुनादी की कि तेल के दामों में कटौती हो गई है। राष्ट्रवादी चैनलों ने तो बाकायदा इसका विश्लेषण तक पेश कर दिया कि बीते कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरी हैं, रूपया मजबूत हुआ है आदि आदि और इसका सीधा फायदा आम लोगों को दिया जा रहा है। और पेट्रोल की कीमतें 60 पैसे तक और डीजल की कीमत 58 पैसे तक कम हो गई हैं। कम ही सही, लेकिन राहत तो है।
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लेकिन यह खुशी ज्यादा देर की नहीं रही। तेल कंपनियों ने आनन फानन भूल-सुधार जारी कर कहा कि गणना की गलती से ऐसे रेट सामने आ गए, दरअसल कटौती तो सिर्फ एक पैसे की ही हुई है।
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मौजूदा सरकार में आम लोगों के साथ इससे भद्दा मजाक क्या हो सकता था, कि एक पैसे प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की जाए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ठीक ही कहा कि, प्रधानमंत्री जी यह निहायत ही बचकाना और घटिया मजाक है आम लोगों के साथ। उन्होंने यह भी कहा कि तेल कीमतों पर जो चैलेंज आपको दिया था, एक पैसे की कटौती उस चैलेंज का माकूल जवाब तो कतई नहीं है।
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वहीं कांग्रेस ने भी इसे आम लोगों के साथ क्रूर मजाक की संज्ञा दी है।
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तो इस एक पैसे की कमी के बाद अलग-अलग शहरों में एक लीटर पेट्रोल के जो दाम हो गए हैं, वे यहां नीचे ग्राफ में देखिए...
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असल में आम लोगों से एक पैसे का भद्दा मजाक करने वाली सरकार बीते चार साल में एक्साइज़ ड्यूटी के नाम पर हमारी आपकी जेब पर डाका डालकर अपना खजाना भर रही है। बीते 4 वर्षों में मोदी सरकार ने आम लोगों की जेब से गैस, डीजल और पेट्रोल पर टैक्स के नाम पर 10 लाख करोड़ रूपए लूट लिए। बीते 4 साल में मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी में 211.7 फीसदी और डीज़ल में 443.06 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। मई 2014 में पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी 9.2 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल पर 3.46 रुपए प्रति लीटर थी, जो अब बढ़कर क्रमश: 19.48 रुपए और 15.33 रुपए प्रति लीटर हो गई है।
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गौरतलब है कि मई 2014 के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत में करीब 30 फीसदी की कमी आई, लेकिन मोदी सरकार ने इसका फायदा आम लोगों तक नहीं पहुंचने दिया। इस तरह दिसंबर 2017 तक मोदी सरकार ने करीब 9.96 लाख करोड़ रुपए की कमाई की, जो अब तक बढ़कर 10 लाख करोड़ पार कर चुकी होगी।
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