ओडिशा के ‘माउंटेनमैन’ के नाम से मशहूर दैतारी नायक को इसी साल मोदी सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। लेकिन अब यही सम्मान उनके लिए मुसीबतों का सबब बन गया है। बेहद गरीब आदिवासी दैतारी बताते हैं कि इस सम्मान की वजह से कोई उन्हें काम नहीं दे रहा है। जिससे उनके हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि उन्हें चींटी के अंडे खाकर गुजारा करना पड़ रहा है। ऐसे में मजबूर होकर वह अपना पद्मश्री सम्मान लौटाना चाहते हैं।
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ओडिशा के केनोझार जिले के तालाबैतारानी गांव के रहने वाले 75 वर्षीय दैतारी नायक को कुदाल से गोनासिका पहाड़ में 3 किलोमीटर लंबी नहर खोदने के लिए मोदी सरकार ने इसी साल देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था। मूल रूप से खेती-बाड़ी करने वाले दैतारी ने साल 2010 से 2013 के बीच पहाड़ी को कुदाल से खोद डाला था, जिससे इलाके की 100 एकड़ जमीन पर खेती होने लगी।
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दैतारी नायक कहते हैं कि पद्मश्री सम्मान उनके कोई काम नहीं आ रहा, उल्टा उनके लिए मुसीबत बन गया है। वह कहते हैं कि यह सम्मान मिलने से पहले वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर लेते थे, जिससे दो वक्त की रोटी का इंतेजाम हो जाता था। लेकिन अब यह सम्मान मिलने के बाद लोग उन्हें काम ही नहीं दे रहे। लोगों को लगता है कि काम सम्मान से काफी छोटा है।
दैतारी कहते हैं, “मुझे वृद्धावस्था पेंशन के रूप में हर महीने 700 रुपए मिलते हैं, लेकिन इससे परिवार का गुजारा काफी मुश्किल है। ऐसे में हमें चींटी के अंडे खाकर गुजारा करना पड़ रहा है। इस सम्मान से बहुत मुश्किल हो रही है। मैं यह सम्मान लौटाना चाहता हूं, जिससे मुझे कुछ काम मिल सके।’’
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दैतारी नायक को कुछ साल पहले इंदिरा आवास योजना के तहत एक घर एलॉट तो हुआ, लेकिन वह अब भी अधूरा है। इसकी वजह से दैतारी अपने पुराने झोंपड़े में रहने के लिए मजबूर हैं। जहां उन्होंने अपने पद्मश्री मेडल को बकरी के बाड़े में टांग दिया है।
पिता की तरह ही मजदूरी करने वाले दैतारी के बेटे आलेख भी हालात से बहुत परेशान हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता के कारनामे पर सरकार की ओर से सड़क बनाने और नहर का कटाव रोकने का वादा किया गया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। इसके साथ ही अधिकारियों ने नहर को सीमेंटेड कराने और लोगों को पीने का साफ पानी मुहैया कराने का भी वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ। आलेख ने कहा कि इन सब वजहों से उनके पिता काफी परेशान रहते हैं और अपना सम्मान लौटाना चाहते हैं।
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हालांकि, दैतारी नायक के इस फैसले की खबर मिलने पर केनोझार के जिला कलेक्टर ने उनकी समस्या सुनने की बात कही है। जिला कलेक्टर आशीष ठाकरे ने कहा कि इस बात की जांच की जाएगी कि वह अपना सम्मान क्यों लौटाना चाहते हैं। ठाकरे ने कहा, “हम उनकी समस्या सुनेंगे और सम्मान नहीं लौटाने के लिए उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे।’’ वहीं इस मुद्दे को कांग्रेस ने राज्य में आदिवासियों की दुर्दशा का उदाहरण करार दिया है। कांग्रेस ने कहा कि आदिवासी किसान दैतारी नायक की इस हालत से पता चलता है कि ओडिशा सरकार किसानों से खोखले वादे कर रही है।
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