राजधानी दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में प्रसासन और नर्शों के बीच विवाद बढता जा रहा है। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्यर ने आदेश जारी किया है कि अब नर्सों को 12 घंटे की शिफ्ट करनी होगी। लेकिन नर्सों ने 12 घंटे की शिफ्ट करने से इनकार कर दिया। नर्सों ने इस बारे में दिल्ली सरकार और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को पत्र लिखकर 12 घंटे की शिफ्ट करने में असमर्थता जताई है।
फिलहाल अस्पताल में तीन शिफ्ट होती हैं। एक सुबह की 6 घंटे की शिफ्ट होती है, फिर दोपहर की 6 घंटे की शिफ्ट होती है और इसके बाद 12 घंटे की रात की शिफ्ट होती है। इन सभी शिफ्ट में दो नर्सें होती हैं। दिल्ली राज्य अस्पताल नर्स यूनियन की महासचिव जीमोल शाजी ने बताया कि, “नियमों के अनुसार स्टाफ नर्स पीपीई सिर्फ 4 घंटे के लिए पहन सकती है। अगर कोरना की ड्यूटी में 12 घंटे तक पीपीई पहनी जाएगी तो वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे नर्सों पर न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनता है। हमने 12 घंटे की शिफ्ट का आदेश वापस लेने की अपील की है।”
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एलएनजेपी की एक नर्स ने बताया कि, “कोरोना वायरस की लगातार 12 घंटे की ड्यूटी करने असंभव है क्योंकि एक बार पीपीई पहनने के बाद स्टाफ पानी तक नहीं पी सकता, शौचालय नहीं जा सकता। पीपीई सूट ऐसा नहीं होता जिसमें हवा पास हो और ऐसे में अंदर ही अंदर पसीना भी आता है।”
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एलएनजेपी के मेडिकल डायरेक्टर जे सी पासी ने यह आदेश जारी करने से पहले किसी भी सीनियर नर्सिंग स्टाफ से सलाह-मशविरा नहीं किया। नर्सों ने बताया कि, “उन्होंने सिर्फ मेमो जारी कर दिया और नर्सिंग सुपरिंटेंडेट को इसे लागू करने को कहा। इसके बाद सुप्रिंटेंडेंट के पास इसे लागू करने के सिवा कोई विकल्प ही नहीं था।” लेकिन नर्स यूनियन ने कह दिया है कि वे इस आदेश को नहीं मानेंगे।
इस सबके बीच इस बात को लेकर कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। कुछ वार्डों में नर्सें 12 घंटे की ड्यूटी कर रही हैं लेकिन ज्यादातर में पुराने तीन शिफ्ट वाले सिस्टम से ही ड्यूटी हो रही है।
अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि पासी ने तो दिल्ली सरकार के आदेशों का पालन किया है। दिल्ली सरकार ने 29 मार्च को एक आदेश जारी कर कहा था कि कोरोना के लिए चिह्नित अंस्पताल अब दो शिफ्ट में काम करेंगे, एक 10 घंटे की दिन की शिफ्ट और एक 14 घंटे की रात की शिफ्ट। नर्सों ने सवाल उठाया है कि आखिर इस आदेश को अब एक महीने बाद क्यों लागू किया जा रहा है।
गौरतलब है कि एम्स में नर्सों की 4 शिफ्ट होती हैं और सभी 6 घंटे की होती हैं। इसके अलावा जहां कोरोना के संदिग्ध मरीज हैं वहां सिर्फ 4 घंटे की ही शिफ्ट होती है। नर्स यूनियन ने कहा है कि सरकार को 12 घंटे की शिफ्ट का कारण साफ करना चाहिए।
लेकिन एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज डा बासना का कहना है कि कोरोना के मरीजों को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है, बल्कि आईसीयू में काम करने वाली नर्सों पर ज्यादा दबाव होता है।
लेकिन जानकारी के मुताबिक एलएनजेपी में जो मरीज लाए जा रहे हैं उनमें कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियां भी हैं और उन्हें लगातार देखभाल की जरूरत होती है। यह तथ्य डॉ बासना के दावे को गलत साबित करता है। पीपीआई किट को सिर्फ 4 घंटे ही पहना जा सकता है, इस पर डा बासना कहते हैं कि वे नर्सों की संख्या बढ़ा देंगे, लेकिन नर्सों का कहना है कि इससे तो और अधिक संख्या में नर्सों पर वायरस के संक्रमण का खतरा आ जाएगा।
ध्यान रहे कि एलएनजेपी में किसी भी मेडिकल स्टाफर को 14 दिन की कोरोना ड्यूटी करने के बाद अगले 14 दिन तक क्वारंटीन में रहना होता है। इस दौरान वे घर नहीं जा सकते। लेकिन अव्यवस्था के चलते नर्सों को 14 दिन के क्वारंटीन की मीयाद पूरी होने से पहले ही ड्यूटी पर बुलाया जा रहा है।
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