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नूह हिंसा: VHP-बजरंग दल की रैलियों में हेट स्पीच या हिंसा रोकना सुनिश्चित करें सरकारें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि नूह हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों की रैलियों में न हेट स्पीच हो और न ही किसी किस्म की हिंसा।

दिल्ली में प्रदर्शन करते हिंदुत्ववादी संगठनों विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोग।
दिल्ली में प्रदर्शन करते हिंदुत्ववादी संगठनों विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोग। फोटो: विपिन

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों और पुलिस को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि हिंदुत्ववादी संगठनों विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में किए जा रहे प्रदर्शनों और रैलियों के दौरान कोई हेट-स्पीच (नफरत फैलाने वाले भाषण) या हिंसा न हो।

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी भट्टी की पीठ ने वरिष्ठ वकील चंदर उदय सिंह की याचिका पर बुधवार दोपहर 2 बजे विशेष सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अक्टूबर 2022 और अप्रैल 2023 में कोर्ट ने पहले ही आदेश जारी किया है कि पुलिस को हेट स्पीच के मामलों में स्वत: संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को इस आदेश का पालन करना चाहिए। वकील सी यू सिंह ने दिल्ली-एनसीआर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के प्रदर्शनों के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी।

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इस मामले को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने पेश किया था जिन्होंने इस पर अर्जेंट हियरिंग (तत्काल सुनवाई) के आदेश देते हुए इसे तुरंत सूचीबद्ध करने को कहा था। चीफ जस्टिस ने कहा था, “हमें कागजात दीजिए हम तुरंत आदेश जारी करेंगे।” वरिष्ठ वकील सी यू सिंह ने याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्लाह की तरफ से अर्जी दायर की थी।

याचिका पेश करते हुए चंद्र उदय सिंह ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली और एनसीआर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की तरफ से विभिन्न जगहों पर नूह में हुई हिंसा के विरोध में 23 प्रदर्शन किए जा रहे हैं। जब कोर्ट ने पूछा कि क्या इस दौरान हेट स्पीच भी हुई हैं तो सिंह ने बताया कि हां इस दौरान हेट स्पीच भी हुई हैं और इस तरह की और रैलियां रने का भी आह्वान किया गया है।

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सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना ने अतिरिक्त महाधिवक्ता एस वी राजू से कहा कि आप इस बात पर बहस नहीं कर सकते कि हेट स्पीच से माहौल खराब होता है या नहीं। कोर्ट ने कहा, “मि. राजू इस बात को सुनिश्चित करें कि अधिकारी और सरकारी व्यवस्था सभी कदम उठाए ताकि न तो हेट स्पीच हो और न ही कहीं हिंसा। हमें कानून व्यवस्था बनाए रखना है। यह पुलिस का मामला है।”

आदेश में कोर्ट ने कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकार और पुलिस अधारी सुनिश्चित करेंगे कि किसी समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच न हो और न हिंसा हो और न ही किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचे। जहां भी जरूरत हो वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाए, सीसीटी वी कैमरों की मदद ली जाए और संवेदनशील इलाकों में प्रदर्शन की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए और इन्हें सुरक्षित रखा जाए।”

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कोर्ट ने कहा कि इस आदेश के बारे में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को सूचित किया जाना चाहिए।

मामले को शुरुआत में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ के सामने पेश किया गया था। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि अभी तय नहीं है कि इस मामले पर तुरंत सुनवाई हो सकती है या नहीं, क्योंकि यह अधिकार चीफ जस्टिस का है। उन्होंने वकील सी यू सिंह से कहा कि वे चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ से इस बारे में सलाह लें। इसके बाद सी यू सिंह चीफ जस्टिस के सामने पेश हुए, जिस पर चीफ जस्टिस ने मामले की ईमेल तुरंत भेजने को कहते हुए तुरंत सुनवाई के लिए कहा।

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गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक धार्मिक रैली के दौरान 31 जुलाई को हरियाणा के नूह में हिंसा भड़क उठी थी। दरअसल अफवाह फैल गई थी कि इस रैली में मोनू मनेसर भी शामिल होने वाला है। मोनू मनेसर पर भिवाड़ी में दो लोगों को जिंदा जलाकर मारने का आरोप है। उस घटना में जुनैद और नासिर नाम के युवकों की हत्या की गई थी। इस मामले में राजस्थान पुलिस ने मोनू मनेसर समेत 21 लोगों के खाळप अपहरण और हत्या का मामला दर्ज किया था।

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