कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फेरोज खान ने यौन शोषण के आरोपों में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को पार्टी ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है। फेरोज खान पर संगठन की एक महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। मामले के तूल पकड़ने के बाद एक दिन पहले सोमवार को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसे मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष ने स्वीकार कर साफ संकेत दे दिया है कि ऐसे मामलों में पार्टी की नीति बिल्कुसल स्पष्ट है। बता दें कि राहुल गांधी इन दिनों मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं, उन्होंने वहीं से फेरोज खान के इस्तीफे पर अपना फैसला लिया है।
इस्तीफा स्वीकार होने के बाद फेरोज खान ने कहा, “कल मैंने अपना इस्तीफा भेजा था। मुझ पर लगे आरोप पूरी तरह से गलत हैं और मैं इस पर अभी भी अडिग हूं। मैंने पार्टी की छवि के लिए अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।” बता दें कि मूलरूप से जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के पोगल परिस्तान के रहने वाले फेरोज खान को 2017 में एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। उन पर इसी साल जून में छत्तीसगढ़ एनएसयूआई की एक महिला पदादिकारी ने यौन शोषण की कोशिश के आरोप लगाए थे। आरोप सामने आने के बाद पार्टी ने जांच-पड़ताल के लिए एक आंतरिक कमेटी का गठन कर दिया था, जिसमें राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, सांसद दीपेंद्र सिंह हुडा और रागिनी नायक का रखा गया है। खबरों के मुताबिक यह समिति आने वाले शुक्रवार को इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट से गुजरने के बाद ही पार्टी फेरोज खान पर आगे अपना फैसला लेगी। इससे पहले, बीते हफ्ते कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले में आंतरिक जांच कमेटी के गठन का ऐलान किया था।
कानून और मानवाधिकार की पढ़ाई करने वाले खान को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एनएसयूआई को खड़ा करने का श्रेय दिया जाता है। इससे पहले वह एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव समेत कई राज्यों में एनएसयूआई के प्रभारी रह चुके हैं।
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गौरतलब है कि देश के में दिनों ‘मीटू’ अभियान के तहत हो रहे यौन शोषण के खुलासों ने हर किसी को चौंकाया है। ऐसे मामलों के प्रति गंभीरता दिखाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस अभियान का समर्थन कर चुके हैं। राहुल गांधी ने समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा था, "अब वक्त आ गया है कि सभी लोग महिलाओं के साथ इज्जत और सम्मान के साथ पेश आना सीख लें, मुझे खुशी है कि जो ऐसा नहीं कर रहे हैं उनके लिए दायरा खत्म होता जा रहा है, सच्चाई को जोर से और स्पष्ट शब्दों में कहा जाना चाहिए ताकि बदलाव लाया जा सके।"
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