राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार पर खुले तौर पर आरोप लगाया है कि वह हर दिन कोरोना के मामलों में उछाल को देखते हुए भी राज्य में जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है, जिससे राज्य में रेमेडिसविर और ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है। राज्य सरकार ने आंकड़ों के साथ आरोप लगाया कि बीजेपी शासित गुजरात और मध्य प्रदेश में कम केस होने के बावजूद राजस्थान के मुकाबले कहीं अधिक ऑक्सीजन और दवाओं की आपूर्ति हो रही है।
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इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना टीकाकरण पर केंद्र की नीति पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने पीएम से 18, 45 और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण के लिए समान नीति अपनाने का आग्रह किया है।
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वहीं, राजस्थान के मंत्रियों ने केंद्र सरकार के कथित पक्षपातपूर्ण रवैये को प्रदर्शित करने के लिए कुछ आंकड़े जारी किए और कहा कि राजस्थान को 205 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रही है, जबकि राजस्थान की तुलना में गुजरात में सक्रिय मामलों के कम होने बावजूद गुजरात सरकार को बहुत अधिक ऑक्सीजन मिल रही है।
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राज्य के मंत्रियों ने कहा कि गुरुवार को राज्य सरकार को महज 28,500 रेमेडिसविर इंजेक्शन मिले, जबकि गुजरात में 1.63 लाख इंजेक्शन और एमपी को 92,200 इंजेक्शन मिले, इसके बावजूद कि राजस्थान में इन दोनों राज्यों की तुलना में कोरोना के अधिक सक्रिय मामले हैं। वितरण प्रतिशत पर गौर करें तो यह स्पष्ट है कि राजस्थान को सक्रिय मामलों की तुलना में सिर्फ 27.50 फीसदी इंजेक्शन प्राप्त हुए, जबकि गुजरात को 194 फीसदी और मध्य प्रदेश को 112 फीसदी दिया गया है।
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इससे पहले, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने आरोप लगाया था कि सिप्ला द्वारा राजस्थान को की जा रही आपूर्ति गोवा सरकार के हस्तक्षेप से रोक दी गई थी और बाद में कर्नाटक सरकार के हस्तक्षेप के कारण अन्य कंपनियों द्वारा भी इसकी आपूर्ति रोक दी गई थी। बता दें कि राज्य में गुरुवार तक 107157 सक्रिय मामले थे। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार को कुल 14468 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि 59 मौतें हुईं। राज्य में कोविड से मौतों का आंकड़ा 3389 तक पहुंच गया है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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