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उत्तर प्रदेश में अब कहीं नहीं दिखेगा शोले वाला सीन, हलकान योगी सरकार ने लिया ये फैसला

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आर के तिवारी ने सभी जिला मजिस्ट्रेट को पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि पानी की टंकियों की सीढ़ियों पर ताला लगाया जाए और जो इस्तेमाल नहीं हो रही हैं, उन्हें तोड़ दिया जाए। उन्होंने कार्रवाई के बाद रिपोर्ट भी मांगी है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश में आए दिन फिल्म शोले के धर्मेंद्र की तरह अपनी बात मनवाने के लिए पानी की टंकी पर चढ़कर कूदने की धमकी देने और हंगामा खड़ा करने की घटनाओं से योगी सरकार काफी हलकान है। आखिरकार तंग आकर योगी सरकार ने अब पूरे प्रदेश में पानी की टंकी की सीढ़ियों पर ताला लगाने और अनुपयोगी होने पर सीढ़ियां हटाने का फैसला किया है।

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योगी सरकार का यह फैसला इसी हफ्ते एक वकील और उसके परिवार द्वारा प्रयागराज में एक पानी टंकी पर चढ़कर हंगामा करने की घटना के बाद आया है। यह परिवार 60 घंटों तक टंकी पर रहा था। दरअसल वकील विजय प्रताप अपनी पत्नी, बेटे-बेटी और दो रिश्तेदारों के साथ बेली इलाके में एक पानी की टंकी पर चढ़ गए और मांग रखी दिया कि उन पर लगाए गए झूठे आरोपों की सीबीआई जांच हो। साथ ही धमकी भी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह अपने और अपने परिवार के सदस्यों पर पेट्रोल डालकर आग लगा लेंगे।

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इस फैसले पर प्रयागराज शहर के एडीएम ए के कनौजिया ने कहा, "हमारी ओर से अनुनय-विनय करने और उनसे वादा करने कि उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा, तब जाकर वे लोग नीचे उतरे। हमने उन्हें संगडील एसडीएम के साथ और सर्किल आफिसर रैंक के अधिकारी के साथ हरदोई भेज दिया है।"

तीन दिनों तक पूरे प्रशासन की नाक में दम करके रखने वाली इस घटना पर ध्यान देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आर के तिवारी ने इस संबंध में सभी जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र भेजा है। इसमें उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि पानी की टंकियों की सीढ़ियों को बंद कर दिया जाए और जो इस्तेमाल नहीं हो रही हैं, उन्हें तोड़ दिया जाए। उन्होंने कार्रवाई के बाद रिपोर्ट भी मांगी है।

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इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "शोले की ये वीरू जैसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। पिछले हफ्ते, शाहजहांपुर में 5 किसान पानी की टंकी पर चढ़ गए और दावा किया कि वे खरीदी केंद्र पर अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं। पानी की टंकियां प्रशासन को उनकी मांग को मानने के लिए मजबूर करती हैं और पूरे प्रशासन को खूंटी पर रखती हैं। ऐसी घटनाएं रुकनी चाहिए।"

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