मशहूर साहित्यकार केदारनाथ सिंह नहीं रहे। सोमवार शाम दिल्ली में उनका निधन हो गया। वे लंब समय से बीमार थे और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में उनका इलाज चल रहा था। केदारनाथ सिंह की मृत्यु से साहित्य जगत स्तब्ध है।
Published: 19 Mar 2018, 11:09 PM IST
केदारनाथ सिंह चर्चित कविता संकलन तीसरा सप्तक के सहयोगी कवियों में से थे। इनकी कविताओं का अनुवाद भारत की लगभग सभी भाषाओं के साथ ही अंग्रेजी, स्पेनिश, रूसी, जर्मन औ हंगेरियन में भी हुआ।
Published: 19 Mar 2018, 11:09 PM IST
उन्हें 2013 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिंदी के 10वें लेखक थे। उनका जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गांव में हुआ था। उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए और फिर पीएचडी किया था। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषआ केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष अपनी सेवाएं दीं।
Published: 19 Mar 2018, 11:09 PM IST
उनके कुछ प्रमुख कविता संग्रहों में ‘अभी बिल्कुल अभी’, ‘जमीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’, ‘बाघ’, ‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएं, ‘तालस्ताय’ और ‘साइकिल’ आदि हैं। इसके अलावा वे आलोचना के भी बड़े लेखक थे। उन्होंने ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान’, ‘मेरे समय के शब्द’ और ‘मेरे साक्षात्कार’ जैसी रचनाएं दीं। साथ ही उन्होंने ‘ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)’, ‘समकालीन रूसी कविताएं’, ‘कविता दशक’, ‘साखी’ (अनियतकालिक पत्रिका), ‘शब्द’ (अनियतकालिक पत्रिका) आदि का संपादन किया।
Published: 19 Mar 2018, 11:09 PM IST
केदारनाथ सिंह को मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान आदि से सम्मानित किया गया था।
Published: 19 Mar 2018, 11:09 PM IST
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Published: 19 Mar 2018, 11:09 PM IST