हमें लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर उतार पर है, पर दूसरे देशों की तस्वीर अच्छी नहीं है। कहीं दूसरी लहर चल रही है, कहीं तीसरी। कुछ चौथी का इंतजार कर रहे हैं। नए संक्रमितों की संख्या चार हफ्तों से बढ़ रही है। अमेरिका सबसे ज्यादा संक्रमित देश है। तेज टीकाकरण के कारण वहां स्थिति बेहतर हुई है, पर तमाम देशों में प्रतिबंधों के बावजूद संक्रमण में गिरावट नहीं हो रही है। हमारे लिए सबक है कि लापरवाही का मतलब है तबाही को दावत देना।
ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, इंडोनेशिया, क्यूबा, ब्रिटेन, रूस और दक्षिण कोरिया में स्थिति बिगड़ रही है। बुधवार 7 जुलाई को दुनिया में कोविड-19 से हुई मौतों की संख्या 40 लाख से ऊपर चली गई थी। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डैशबोर्ड के अनुसार, 13 जुलाई की सुबह मरने वालों की संख्या 40 लाख 36 हजार से ऊपर हो गई। वैश्विक कोरोना के कुल मामले 18 करोड़ 71 लाख से ऊपर हैं।
रोजाना मौतों की संख्या में गिरावट है, फिर भी 6-8 हजार मौतें रोज हो रही हैं। अमेरिका में यह संख्या छह लाख, ब्राजील में पांच लाख और भारत में चार लाख से ऊपर हो गई है। ब्राजील और मैक्सिको में मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। कुछ महीनों से पेरू, कोलंबिया और अर्जेंटीना में मृत्यु दर बढ़ी है। पेरू में प्रति दस लाख आबादी पर 6,000 मौतों का औसत है जबकि वैश्विक औसत 51 है। इससे फर्क पता लगता है। भारत में यह औसत 300 और अमेरिका में 1800 है। ब्राजील और कोलंबिया में 2000 के ऊपर है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया टेड्रॉस गैब्रेसस ने जिनेवा से प्रसारित वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वायरस के डेल्टा वेरिएंट का खतरनाक प्रसार हो रहा है। जिन देशों में टीकाकरण का दायरा सीमित है, वहां खासतौर से दशा बहुत खराब है। डेल्टा वेरिएंट 104 से ज्यादा देशों में है और यह जल्द ही दूसरे देशों में फैल जाएगा। जिन देशों ने शुरुआती दौर में वायरस की लहर पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की थी, वहां भी नई लहर का विनाशकारी रूप देखने को मिल रहा है।
डॉक्टर टेड्रॉस ने कहा कि उन्हें यह देखकर निराशा है कि जिन देशों में उनकी आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीन के टीकों की दो खुराकें लग चुकी हैं, वे तीसरी डोज की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ ऐसे देश हैं जो कह रहे हैं कि हम कीमत अदा करने को तैयार हैं, पर वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं। दुनिया के पास उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है लेकिन वैश्विक नेतृत्व की कमी है। फार्मास्युटिकल कंपनियों को अपने लाइसेंस, नुस्खे और टेक्नोलॉजी को साझा करना चाहिए। एस्ट्राजेनेका से सबक सीखा जा सकता है जिसने यूरोप में वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया और उसका दायरा भारत, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान तक बढ़ा दिया जिसे और भी व्यापक किया जा रहा है। इसकी बदौलत कोवैक्स कार्यक्रम को तमाम जगहों से वैक्सीन खरीदने के लिए हरी झंडी मिल रही है।
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म्युटेशन के कारण वायरस के नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रचलित पहले चार वेरिएंट हैं अल्फा(बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351), गामा (पी.1) और डेल्टा(बी.1.617.2)। इसके बाद चार और वेरिएंट हैं ईटा (बी.1.525), लोटा (बी.1.526), कप्पा(बी.1.617.1) और लैम्डा(सी.37)। मोटे तौर पर इन्हें पहचानने के लिए ये नाम रखे गए हैं। उनके वैज्ञानिक नाम अपनी जगह हैं। वेरिएंट भी इतने ही नहीं हैं। उनकी संख्या काफी बड़ी है।
ऑस्ट्रेलिया के कई इलाकों में लॉकडाउन है। वहां डेल्टा वेरिएंट पैर पसार रहा है। महामारी पर काबू पाने का जश्न भी ऑस्ट्रेलिया मना चुका है। उसकी अर्थव्यवस्था् पटरी पर आ भी गई थी। अब फिर से डेल्टा वेरिएंट ने हमला बोला है। स्पेन की राजधानी मैड्रिड में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहां भी डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण है जो अधिकतर युवाओं और उन लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है।
ब्रिटेन ने पाबंदियां 19 जुलाई तक बढ़ा दी हैं। रूस में कोरोना से एक दिन में रिकॉर्ड 752 लोगों की मौत हो गई। वहां कोरोना से एक दिन में होने वाली मौतों का यह रिकॉर्ड है। रूस में कोरोना से मरने वालों की संख्या 13 जुलाई की सुबह 1,43,712 हो गई थी। जनवरी के बाद रूस में नए मामलों में कमी देखी जा रही थी। टीकों की कमी से टीकाकरण की रफ्तार भी धीमी है।
इंडोनेशिया में ऑक्सीजन संकट और पाकिस्तान में चौथी लहर है। बांग्लादेश में लॉकडाउन है। ऐसी ही हालत थाईलैंड की भी है। वहां भी मामले मई महीने से ही बढ़ना शुरू हो गए थे जो थमने का नाम नहीं ले रहे। रोजाना 3-4 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं। दक्षिण कोरिया में राजधानी सोल और पास के ग्योंगी प्रांत और इंचियॉन में नए मामले सामने आए हैं। इस क्षेत्र में तीन या अधिक लोगों के निजी सामाजिक समारोहों पर रोक लगा दी गई है।
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भारत के कई शहरों के अनलॉक हो रहा है, पर महाराष्ट्र, केरल और पूर्वोत्तर के कई इलाकों से चिंताजनक खबरें हैं। तीसरी लहर के खतरों की ओर विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं। हाल में मसूरी के कैम्पटी फॉल के वीडियो को स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में दिखाकर पूछा कि क्या यह तीसरी लहर को खुला निमंत्रण नहीं है?
भारत में संक्रमण की रफ्तार का संकेत देने वाले आर-फैक्टर में वृद्धि देखी गई है। चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं के अनुसार संक्रमण की जानकारी देने वाला आर-फैक्टर देश में 0.78 तक गिरने के बाद 0.88 पर आ गया है। इसका मतलब है कि कुछ समय पहले तक जहां 100 संक्रमित व्यक्ति 78 को संक्रमित कर रहे थे, वहीं अब 88 को संक्रमित कर रहे हैं।
स्टेट बैंक रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण ही एकमात्र बचाव है। वैश्विक-डेटा बता रहा है कि औसतन, तीसरी लहर के मामले दूसरी लहर के पीक के लगभग 1.7 गुना हैं। स्टेट बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के अनुसार, अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक मामले बढ़ना शुरू हो सकते हैं। वैसे भी विनाशकारी दूसरी लहर अभी उतरी नहीं है।
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