हालात

मणिपुर के पांच जिलों में बंद के दूसरे दिन भी आम जनजीवन ठप, 5 स्वयंसेवकों की रिहाई पर अड़े मैतेई संगठन

घाटी के पांच जिलों में बंद के कारण सभी गाड़ियां सड़कों से नदारद रहे, अंतर-जिला, अंतर-राज्य बसें और ट्रक नहीं चले। बाजार, व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक, सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान सब बंद रहे। कई जगह केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों की आवाजाही बाधित हुई।

मणिपुर के पांच जिलों में बंद के दूसरे दिन भी आम जनजीवन ठप
मणिपुर के पांच जिलों में बंद के दूसरे दिन भी आम जनजीवन ठप फोटोः IANS

मणिपुर में मैतेई समाज से जुड़े विभिन्न नागरिक समाज संगठनों और स्थानीय गुटों द्वारा हथियारों के साथ गिरफ्तार पांच 'ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवकों' की रिहाई को लेकर 48 घंटे के बंद का असर बुधवार को दूसरे दिन भी देखने को मिला। बंद की वजह से पांच घाटी जिलों में सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा।

एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बुधवार को कहा कि वे पांचों लोगों को नहीं छोड़ेंगे क्योंकि वे अत्याधुनिक हथियारों और गोला-बारूद के साथ पकड़े गए थे। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि घाटी के जिलों बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व से कुछ छोटी घटनाएं दर्ज की गईं, लेकिन बंद से संबंधित कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

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बंद के मद्देनजर यात्रियों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों में महिलाओं सहित आंदोलनकारियों ने प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर रखा है। नाकेबंदी के कारण कई स्थानों पर केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों की आवाजाही भी बाधित हुई। हालांकि, आवश्यक सेवाओं और एंबुलेंसों को प्रदर्शनकारियों ने आने-जाने की अनुमति दे रखी है।

घाटी के पांच जिलों में बंद के कारण, सभी नागरिक वाहन सड़कों से नदारद रहे, अंतर-जिला, अंतर-राज्य बसें और ट्रक नहीं चले। बाजारें, दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक, सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान सभी बंद रहे। विरोध प्रदर्शन के कारण मंगलवार और बुधवार को होने वाली विभिन्न संस्थानों की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं।

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इससे पहले रविवार को एक बड़ी भीड़ ने गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग करते हुए इंफाल पूर्वी जिले के पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन पर धावा बोलने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागकर हमले को नाकाम कर दिया। मारपीट के दौरान रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों समेत कई लोगों को मामूली चोटें आईं। आंदोलनकारी संगठनों के प्रवक्ता एम मेमचा ने दावा किया कि ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवक कुकी आदिवासियों और सशस्त्र उग्रवादियों के हमलों से मैतेई ग्रामीणों की रक्षा कर रहे थे।

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नागरिक समाज संगठनों ने पहले पांचों बंदियों को रिहा करने की समय सीमा तय की थी, लेकिन पुलिस ने मांग खारिज कर दी। आंदोलनकारी संगठनों ने सोमवार और मंगलवार की मध्यरात्रि से शुरू हुए 48 घंटे के बंद के बाद 'स्वयंसेवकों' को रिहा नहीं किए जाने पर आंदोलन तेज करने की धमकी दी थी। बड़ी घटनाओं से बचने के लिए राज्य के विभिन्न संवेदनशील इलाकों, खासकर घाटी के जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

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