अयोध्या मामले पर फैसले की घड़ी नजदीक आने के साथ ही समाज के विभिन्न तबकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किए जाने और किसी भी धार्मिक उन्माद को बढ़ावा न देने की अपील किए जाने का सिलसिला जारी है। इस संदर्भ में बुधवार को जमीयत उलेमाए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी दिल्ली में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह सिर्फ बाबरी मस्जिद की जमीन की विवाद सुलझाएगा और उसका धार्मिक मान्यताओं से कुछ लेना-देना नहीं होगा। ऐसे में देश में अमन और शांति का माहौल बना रहना चाहिए।
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दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में पत्रकारों से बातचीत में मौलान अरशद मदनी ने कौमी आवाज की तरफ से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि, “वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से फिर मिलने वाले हैं।” उन्होंने कहा कि शांति बहाल रखने की कोई भी अपील उस वक्त वक्त कामयाब नहीं हो सकती जब तक इसमें सभी समुदायों का नेतृत्व और जिम्मेदार लोगों सामने न आएं। उन्होंने कहा कि, “हमारी मुलाकात आज मोहन भागवत से होगी और हम इस बारे में विचार करेंगे कि कैसे देश में शांति का माहौल बरकरार रखा जाए।”
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इससे पहले अरशद मदनी ने कहा कि, “बाबरी मस्जिद पर मुसलमानों का दावा ऐतिहासिक वास्तविकताओं पर आधारित है। मस्जिद को किसी हिंदू मंदिर को तोड़े बगैर बनाया गया था। हम अपने दावे के साथ खड़े हैं। अब जो भी सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा हम उसका सम्मान करेंगे।” उन्होंने इस मामले में मुसलमानों के साथ-साथ देश के हर नागरिक से अपील की कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करे। उन्होंने कहा कि कोई भी फैसला आए, लेकिन देश का अमन नहीं खत्म होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, “इस मुद्दे पर आरएसएस और जमीयत उलेमाए हिंद एक साथ हैं।”
इस प्रेस कांफ्रेंस से पहले अरशद मदनी को दिल्ली सरकार के ऑड ईविन फार्मूले से भी दोचार होना पड़ा। दरअसल अरशद मदनी की गाड़ी का नंबर ऑड है और बुधवार को ईविन तारीख थी, इसलिए उनकी गाड़ी का चालान भी हो गया, जिसकी वजह से प्रेस कांफ्रेंस में वह देरी से पहुंचे।
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