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चार साल से अटकी पड़ी है अडानी से जुड़ी कोयला घोटाले की जांच, क्या इस पर ‘ब्लॉग’ लिखेंगे वित्त मंत्री: कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार के दौर में हुए कोयला आयात घोटाले की जांच 4 साल से अटकी पड़ी है, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री के पसंदीदा पूंजीपतियों की कंपनियां शामिल हैं। कांग्रेस ने इस मामले में पूछा है कि क्या वित्त मंत्री इस पर ब्लॉग लिखेंगे?

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

‘केंद्र सरकार 29000 करोड़ रुपए के कोयला आयात घोटाले की जांच के लिए जरूरी कागजात स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से नहीं ले पा रही है, क्योंकि इस घोटाले में जिस कंपनी का नाम है वह प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा पूंजीपति अडानी की है।’ सोमवार को कांग्रेस ने यह आरोप लगाते हुए इस मामले की जांच तेज़ी से करने की मांग उठाई।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि हजारों करोड़ के कोयला आयात घोटाले में केंद्र सरकार की तरफ से जानबूझकर देरी की जा रही है क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा पूंजपति अडानी की कंपनी शामिल है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अक्टूबर 2014 में वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले डीआरआई ने घोषणा की थी कि कोयले के निर्यात में घोटाला हुआ है और उसकी जांच होगी। घोटाला इस बात का है कि कंपनियों ने दूसरे देशों से मंगाए गए कोयले की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर बताई। जयराम रमेश ने बताया कि जांच के ऐलान के करीब 6 महीने बाद 31 मार्च 2016 को डीआरआई ने बयान दिया कि इस मामले में 40 कंपनियों के शामिल होने की बात है और कुल घोटाला 29000 करोड़ का है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि यह इन सभी 40 कंपनियों में से ज्यादातर इंडोनेशिया से कोयले के खरीद करती थी और उन्हें भारत की कई कंपनियों को आपूर्ती करती थीं। इनमें सरकारी बिजली कंपनियां भी शामिल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि इन दो बयानों के बावजूद डीआरआई की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। जयराम रमेश ने बताया कि सितंबर 2017 में यानी पिछले साल एक एनजीओ ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस कोयला घोटाले की जांच हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी से कराने की मांग की। इस पर जब कोर्ट ने जवाब मांगा तो 9 मार्च 2018 को डीआरआई ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में 40 कंपनियां शामिल हैं, इनमें से 4 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। चूंकि डीआरआई जांच कर रहा है इसलिए एसआईटी की जरूरत नहीं है। कांग्रेस के मुताबिक डीआरआई ने जिन 4 कंपनियों के बारे में बताया उनमें प्रधानमंत्री के पसंदीदा पूंजीपति गौतम अडानी की कंपनी, राफेल से जुड़े पूंजीपति अनिल अंबानी की कंपनी और एस्सार समूह से जुड़ी कंपनी भी शामिल है।

कांग्रेस नेता ने बताया कि इस बीच अडानी की कंपनी ने सिंगापुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की और मांग की कि कोयला आयात से संबंधित जो भी कागज या दस्तावेज हैं, उन्हें भारत सरकार या जांच एजेंसी को न दिए जाने का आदेश दिया जाए। जयराम रमेश ने कहा कि इस बीच 20 मई 2016 को वित्त सचिव हसमुख अधिया ने स्टेट बैंक की तत्कालीन चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अरुंधति भट्टाचार्य को पत्र लिखकर अडानी की कंपनी के कोयला आयात से संबंधित कागजात डीआरआई को उपलब्ध कराने को कहा। लेकिन 4 दिन बाद ही एसबीआई चीफ अरुंधति भट्टाचार्य ने जवाब दिया कि चूंकि अडानी समूह ने सिंगापुर की अदालत में अर्जी दायर की है, इसलिए यह कागजात डीआरआई को नहीं सौंपे जा सकते, क्योंकि ऐसा करना सिंगापुर के कानून के खिलाफ होगा।

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कांग्रेस ने सवाल पूछा कि, जब कंपनी भारत की, बैंक भारत सरकार की, कोयला आयात और उसकी आपूर्ति भारत में हुई और जांच भी भारतीय एजेंसी ही कर रही है, ऐसे में सिंगापुर कोर्ट के कानून की इतनी चिंता क्यों? कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि बीते चार सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 बार सिंगापुर का दौरा कर चुके हैं, और वहां के प्रधानमंत्री भारत आ चुके हैं, तो फिर इस मामले पर कोई प्रगति क्यों नहीं हो रही

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कांग्रेस ने बताया कि इस बीच अभी पिछले सप्ताह जब सिंगापुर कोर्ट ने अडानी समूह की अर्जी पर आदेश से इनकार कर दिया तो, अडानी समूह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी डालकर डीआरआई को कागजात न दिए जाने की अपील की। इस तरह यह मामला एक बार फिर लटक गया।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 4 साल में इस मामले की जांच आगे न बढ़ने से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री के पसंदीदा पूंजीपति को बचाने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस ने कहा कि, “अगर इस पूंजीपति के खिलाफ कार्रवाई होगी तो सरकार हिल जाएगी।” कांग्रेस ने इस मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि, ”वैसे तो वित्त मंत्री हर मामले पर ब्लॉग लिखते हैं, लेकिन इस मामले में अभी तक चुप क्यों हैं।” कांग्रेस ने मांग की कि इस घोटाले की जांच समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से हो, कोर्ट में अर्जी पर डीआरआई जवाब दे और जांच को आगे बढ़ाए, सरकार जांच की बाधाएं दूर करे और इस जांच के लिए जरूरी कागजात डीआरआई को उपलब्ध कराए।

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