बिहार में शराबबंदी और उसे लेकर सख्त कानून बनाने के अपने कदम को नीतीश ने खुद क्रांतिकारी जैसा ठहराया था, लेकिन अब नीतीश सरकार शराबबंदी को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है। नीतीश सरकार की कैबिनेट ने शराबबंदी कानून में बदलाव में प्रस्तावित संशोधनों को पारित कर दिया। अब पहली बार किसी व्यक्ति को शराब के साथ पकड़े जाने पर 50,000 का जुर्माना लगा कर छोड़ दिया जाएगा। जुर्माना नहीं भरने पर उसे उसे तीन महीने जेल में काटने होंगे। खबरों के मुताबिक सत्र के दौरान नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार बिहार निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 में संशोधन के लिए कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को सदन में रखेगी।
खबरों के मुताबिक, अब शराब मिलने पर घर, गाड़ी और खेत जब्त करने के प्रावधान को खत्म किया जाएगा। इससे पहले नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार शराबबंदी के कड़े कानूनों पर कानूनविदों से सलाह कर रही है और इसे आगामी विधानसभा सत्र में संशोधन के लिए पेश किया जाएगा।
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बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है और इसे सख्ती से लागू करने के लिए नीतीश सरकार ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम सर्वसम्मिति से विधानमंडल में पारित कराया था। लेकिन बाद में इसके कुछ प्रावधानों को कड़ा बताए जाने तथा इस कानून के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए विपक्ष की तरफ से इसकी आलोचना की जाती रही है।
मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक-2016 में कड़े सजा के प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और नशे में पकड़े जाने पर न्यूनतम 1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक आर्थिक दंड का प्रावधान है। सरकार के दावों के मुताबिक, शराबंदी का उल्लंघन करने के आरोप में सवा लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
विपक्ष के नेताओं का आरोप था कि शराबबंदी की आड़ में दलितों और पिछड़ों को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
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