राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने बिहार में 2018 के महाबोधि मंदिर विस्फोट मामले में शुक्रवार को तीन लोगों को उम्र कैद और पांच अन्य को 10 साल कैद की सजा सुनाई। महाबोधि मंदिर में विस्फोट 19 जनवरी, 2018 को हुआ था, जब तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा बौद्ध तीर्थस्थल बोधगया में काल चक्र पूजा के लिए गए थे।
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उम्र कैद की सजा पाने वालों में तीन लोग अहमद अली, पैगंबर शेख और नूर आलम हैं। जबकि पांच अन्य जिन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई है, उनमें आरिफ हुसैन, मुस्तकीम, दिलावर हुसैन, अब्दुल करीम और मुस्तफिजुर रहमान शामिल हैं। आरोपियों को कुछ दिन पहले 10 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था और सजा की घोषणा शुक्रवार को की गई। एनआईए ने आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिन्होंने अदालत के समक्ष अपना अपराध कबूल कर लिया था।
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सभी दोषी बांग्लादेश स्थित आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से संबंधित हैं। दोषी ठहराए गए लोग मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल के बीरभूम और केरल के रहने वाले हैं। उन्होंने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ 'क्रूरता का बदला' लेने के लिए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) लगाए थे। उन पर आतंकी गतिविधियों, विस्फोटक कृत्यों, देशद्रोह के आरोप और आपराधिक साजिश की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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दलाई लामा द्वारा 19 जनवरी, 2018 को बोधगया में धर्मोपदेश समाप्त करने के एक घंटे बाद एक कम तीव्रता वाला बम विस्फोट हुआ था। सुरक्षा कर्मियों को बक्सों में दो जीवित बम भी मिले थे। इनमें से एक महाबोधि मंदिर के गेट नंबर 4 के पास और दूसरा श्रीलंकाई मठ के पास पाया गया था। सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती के बावजूद दोषी अपराध को अंजाम देने में कामयाब रहे। साल 2013 के सिलसिलेवार आतंकी विस्फोट के बाद महाबोधि मंदिर परिसर की सुरक्षा सीआईएसएफ को दी गई थी, जिसमें दो भिक्षुओं सहित पांच लोग घायल हो गए थे।
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