राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पूर्वी दिल्ली की हवा में भारी धातु प्रदूषण से संबंधित मामले में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और अन्य प्राधिकारियों से जवाब मांगा है।
एनजीटी एक समाचार पत्र की उस खबर का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आईआईटी-दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन के हवाले से बताया गया है कि ‘‘पूर्वी दिल्ली की हवा में सीसा, कैडमियम और निकल जैसी भारी धातुओं के खतरनाक स्तर’’ का पता चला है, जो श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
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एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 16 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि अध्ययन के अनुसार, भारी धातु जोखिम सूचकांक (एचईआई) का सबसे अधिक स्तर लुधियाना (21.78) में पाया गया, उसके बाद पूर्वी दिल्ली (21.45) और पंचकूला (10.74) का स्थान रहा।
पीठ ने कहा, ‘‘समाचार में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इन प्रदूषकों के प्राथमिक स्रोतों में औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों से निकलने वाला धुआं और निर्माण गतिविधियां शामिल हैं।’’
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इसने कहा कि खबर में वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण अधिनियम और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
एनजीटी ने डीपीसीसी, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिवों, पूर्वी दिल्ली और लुधियाना के जिला मजिस्ट्रेट और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के जयपुर क्षेत्रीय कार्यालय को पक्ष या प्रतिवादी के रूप में शामिल किया।
इसने कहा, ‘‘प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख (छह फरवरी) से कम से कम एक सप्ताह पहले एनजीटी के समक्ष हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जाए।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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