उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून के विरोधियों की निजता का हनन करते हुए सरकार की तरफ से लगाए गए पोस्टर के खिलाफ पोस्टर हमला शुरू हो गया है। अब लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बीजेपी नेता साध्वी प्राची समेत अन्य कई बीजेपी नेताओं के पोस्टर लगाए गए हैं जिसमें सभी को दंगों का आरोपी बताया गया है। पोस्टर में सबसे ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में पूछा गया है- जनता मांगे जवाब - इन दंगाईयों से वसूली कब?
इसके बाद पोस्टर के एक तरफ प्रदेश के सीएम और बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ का बड़ा सा फोटो लगा है, जिसके नीचे बताया गया है कि लोकसभा चुनाव के हलफनामे के अनुसार उनपर गोरखपुर दंगे का मुख्य आरोपी होने के साथ 5 और गंभीर मामले दर्ज हैं। इसके बाद पोस्टर की दूसरी तरफ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फोटो है और उसके ठीक निचे बताया गया है कि लोकसभा चुनाव में दिए हलफनामे के अनुसार इन पर कौशाम्बी में दंगा सहित 11 मुकदमे दर्ज हैं।
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इन दोनों नेताओं के नीचे पोस्टर में प्रदेश के 6 अन्य बीजेपी नेताओं के फोटो नाम के साथ दिए गए हैं। इनमें राधा मोहन दास अग्रवाल को गोरखपुर दंगों का आरोपी और विधायक संगीत सोम, सांसद संजीव बालियान, विधायक उमेश मलिक, योगी सरकार में मंत्री सुरेश राणा और साध्वी प्राची को मुजफ्फरनगर दंगों का आरोपी बनाया गया है।
पोस्टर के ठीक बीच में बताया गया है कि इन सभी नेताओं पर धारा 147 के तहत उपद्रव करने, धारा 148 के तहत घातक हथियार से लैस होकर दंगा करने, धारा 295 के तहत एक धर्म का अपमान और धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने, धारा 153 के तहत दंगा भड़काने और धारा 302 के तहत हत्या तक के आरोप हैं। पोस्टर में पूछा गया है कि जनता जवाब मांग रही है कि इन दंगाईयों से वसूली कब होगी?
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ये पोस्टर उन्हीं जगहों के पास लगाए गए हैं, जहां योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के पोस्टर लगवाए हैं। दरअसल योगी सरकार द्वारा प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सभी प्रमुख चौराहों पर सीएए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कथित आरोपियों के नाम और फोटो के साथ बड़े-बड़े पोस्टर लगवाए गए थे। मामले सामने आने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से ऐसे पोस्टर को हटाने का आदेश दिया था।
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हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार हाईकोर्ट के फैसले को धता बताते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, जहां कोर्ट ने साफ कर दिया था कि फिलहाल राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत सड़क किनारे लगाए गए पोस्टरों (सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ करने वालों की फोटो वाले) को उचित ठहराया जा सके। इससे बैकफुट पर आई योगी सरकार ने 13 मार्च को कैबिनेट बैठक कर दंगों और प्रदर्शनों में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अध्यादेश लाकर अपने कदम को कानूनी जामा पहना दिया। खास ये कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें कोर्ट ने पोस्टर लगाने को कानून सम्मत नहीं बताया था।
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