झारखंड में चंपई सोरेन सरकार के कैबिनेट में दो रिक्त बर्थ पर जल्द ही नए मंत्रियों की नियुक्ति की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी और गांडेय विधानसभा क्षेत्र की नवनिर्वाचित विधायक कल्पना सोरेन के अलावा कांग्रेस कोटे से एक विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है।
इस बीच गुरुवार को झारखंड कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सीएम चंपई सोरेन से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस दौरान लोकसभा चुनाव के बाद बनी सियासी परिस्थितियों और मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा हुई है। सूत्रों के अनुसार, विधानसभा का मॉनसून सत्र आहूत होने के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया जाएगा।
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सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले में 15 मई को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। जेल जाने के कई दिनों बाद भी उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया तो सरकार पर सवाल उठने लगे। इसके बाद 7 जून को सीएम चंपई सोरेन ने आलमगीर आलम की जिम्मेदारी वाले सभी विभाग वापस ले लिए। आखिरकार आलमगीर आलम ने 10 जून को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
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अब उनकी जगह कांग्रेस कोटे से जिन विधायकों के नाम मंत्री पद के दावेदारों में सामने आए हैं, उनमें जामताड़ा के विधायक डॉ. इरफान अंसारी और महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह प्रमुख हैं। मंत्री पद के लिए डॉ. इरफान अंसारी की दावेदारी के दो आधार हैं। पहला यह कि आलमगीर आलम सरकार में मुस्लिम अल्पसंख्यक चेहरा थे, इसलिए उनका रिप्लेसमेंट इसी समुदाय से हो सकता है। दूसरा यह कि लोकसभा चुनाव में इरफान अंसारी के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 'इंडिया' गठबंधन के प्रत्याशी नलिन सोरेन को करीब 50 हजार मतों की बढ़त मिली है।
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इसी तरह कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडेय सिंह को पार्टी ने लोकसभा चुनाव में गोड्डा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन तीन-चार दिनों के बाद ही उन्हें ड्रॉप कर उनकी जगह प्रदीप यादव को प्रत्याशी बनाया गया था। टिकट कटने के बावजूद दीपिका पांडेय सिंह ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी और कांग्रेस नेतृत्व के फैसले पर रजामंदी जताई थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी पर भी विचार चल रहा है।
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आलमगीर आलम ने मंत्री पद के साथ-साथ कांग्रेस विधायक दल का नेता पद भी छोड़ा है। ऐसे में इन दोनों विधायकों में से एक को मंत्री और दूसरे को विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है। झारखंड में कैबिनेट में अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं। 12वें मंत्री का पद पहले से खाली चला आ रहा है। अब यह पद नवनिर्वाचित विधायक कल्पना सोरेन को आवंटित हो सकता है, क्योंकि वह लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान गठबंधन के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर उभर कर सामने आईं।
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