केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार दुनिया के साथ कदम से कदम से मिलाने के लिए एक तरफ जहां डिजिटल इंडिया का नारा और बुलेट ट्रेन जैसी आधुनिक तकनीकी परियोजनाओं का ढिंढोरा पीट रही है, वहीं देश के इंजीनियरंग छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा के नाम पर वेदों और पुराणों के युग में ले जाने की तैयारी कर रही है।
देश में इंजीनियरिंग और तकनिकी शिक्षा के लिए जिम्मेदार ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नया पाठ्यक्रम जारी किया है। एआईसीटीई द्वारा जारी नए पाठ्यक्रम में छात्रों के लिए वेद और पुराणों का अध्ययन अनिवार्य कर दिया गया है। अब छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई में वेद, पुराण, योग और शास्त्रों का भी अध्ययन करवाया जाएगा।
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इसके साथ ही नये पाठ्यक्रम में छात्रों के लिए संविधान और पर्यावरण विज्ञान का अध्ययन भी अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, इसके मार्क्स फाइनल परीक्षा के मार्क्स में नहीं जोड़े जाएंगे। पाठ्यक्रम में किए गए नये बदलाव इसी सत्र से लागू होंगे।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने एआईसीटीई का नया पाठ्यक्रम जारी करते हुए कहा, “पाठ्यक्रम को नए सिरे से एक आदर्श पाठ्यक्रम के रूप में तैयार किया गया है, क्योंकि अपडेटेड पाठ्यक्रम छात्रों का अधिकार है। यह पाठ्यक्रम इंजीनियरिंग छात्रों को उद्योग जगत के साथ ही समाज से भी जोड़ेगा।” इसके साथ ही जावड़ेकर ने कहा कि पाठ्यक्रम में उद्योग जगत की जरुरतों के अनुसार हर वर्ष बदलाव होना चाहिए।
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नये पाठ्यक्रम के तहत इंजीनियरिंग छात्रों को कोर्स के दौरान अनिवार्य रुप से उद्योग जगत के साथ ही सामाजिक संगठनों में इटर्नशिप करना अनिवार्य होगा। नये पाठ्यक्रम में प्रायोगिक ज्ञान और लैब कार्य पर अधिक जोर देते हुए थ्योरी के लिए क्रेडिट्स को 220 से घटाकर 160 कर दिया गया है।
भारत में लगभग 3000 इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले संस्थान हैं, जहां से हर वर्ष करीब 7 लाख इंजीनियर निकलते हैं। लेकिन इनमें से मुश्किल से आधे छात्रों को ही नौकरी मिलती है। एआईसीटीई के आंकड़ों के अनुसार, साल 2015-16 में देश भर के संस्थानों से करीब 7.5 लाख इंजीनियर पास होकर निकले जिनमें से सिर्फ 334,000 को ही कैंपस के जरिये नौकरी मिली थी।
एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे का कहना है कि इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिले के समय छात्रों को एक अनिवार्य इंडक्शन ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि उन्हें तकनिकी शिक्षा की आवश्यक भाषा और आधारभूत विचार की समझ हो सके।
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