छत्तीसगढ़ के नक्सलियों ने नई चाल चलते हुए जमीन के अंदर लंबी-लंबी सुरंग का निर्माण करना शुरू कर दिया है। यह खुलासा मंगलवार को बीजापुर-सुकमा सीमा पर नक्सली हमले के बाद सुरक्षा बलों की तलाशी अभियान के दौरान हुआ है। तलाशी में मिले सुरंग नक्सलियों की योजना को लेकर गंभीर सवाल उठाते हैं।
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दरअसल, मंगलवार को बीजापुर-सुकमा सीमा पर जोनागुड़ा और अलीगुड़ा के पास सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में तीन जवान शहीद हुए थे। इस घटना के बाद से ही सुरक्षा बलों का र नक्सलियों की तलाशी के लिए अभियान जारी है। इसी अभियान के दौरान एक लंबी सुरंग का खुलासा हुआ है।
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यह सुरंग दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र भैरवगढ़ के जंगल में मिली है। यह सुरंग लगभग 10 फीट गहरी है और कुछ फीट चौड़ी भी, जिसकी कुल लंबाई 60 मीटर से ज्यादा है। यह सुरंग कई जगह ऊपर से खुली रहती थी। इसे लकड़ी आदि से ढक दिया जाता था। इस सुरंग में नक्सली प्रशिक्षण तक हासिल करते थे, साथ ही वे अपने असलहे आदि को भी छुपाकर रखते थे।
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आशंका तो इस बात तक की है कि इन नक्सलियों ने मुठभेड़ के बाद अपनी सुरक्षा के लिए इस सुरंग का सहारा लिया होगा। इस सुरंग में एक समय में 50 से ज्यादा नक्सली छुप सकते हैं। सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चौहान का दावा है कि नक्सलियों के साथ जो मुठभेड़ हुई थी, उसमें 8 से 10 नक्सली मारे गए हैं और 20 से 30 नक्सली घायल भी हुए हैं।
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वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर पहुंचकर शहीद हुए सुरक्षा बलों के जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि फोर्स के लगातार आगे बढ़ते जाने और पहुंचविहीन इलाकों में भी कैम्प लगाने से माओवादी आतंकी बौखला गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरूद्ध लड़ाई तेज हुई है। हमारे जवान नक्सली चुनौती का बहादुरी के साथ मुकाबला कर रहे हैं।
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