नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर किए गए तबादलों की गहन जांच करने और ऐसे आदेशों के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।
एनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी को जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा पर ‘‘पक्षपातपूर्ण रवैया’’ अपनाने का संदेह है।
अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर किए गए इस फेरबदल के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन को स्वतंत्रता दिवस पर अधिकारियों को सचिवालय और पुलिस मुख्यालय में काम करने के लिए बुलाना पड़ा, क्या कोई इस बात को मान सकता है कि उन्हें बिल्कुल भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि निर्वाचन आयोग आज चुनाव की तारीखों की घोषणा करने वाला है।’’
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पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर ने कहा, ‘‘यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि भारत निर्वाचन आयोग को इस तबादला आदेश को स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के नजरिए से देखना चाहिए। एनसी को उप राज्यपाल कार्यालय पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का संदेह है।’’
एनसी के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को ‘‘स्पष्ट तौर से कमजोर करने’’ के इरादे से उठाया गया है।
सागर ने एक बयान में कहा, ‘‘कल शाम से लेकर आज सुबह तक पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर फेरबदल क्यों किया गया, ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग की घोषणा से पहले ही ऐसा किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल की ओर से अपनी पार्टी और सहयोगियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उपराज्यपाल प्रशासन ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों से समझौता करते हुए योजनाबद्ध तरीके से पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया।’’
एनसी ने भारत निर्वाचन आयोग से ‘‘इस कदम की गहन जांच’’ करने और इन आदेशों के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
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जम्मू-कश्मीर पुलिस में शुक्रवार को बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया जिसके तहत कई वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर दिया गया, साथ ही खुफिया शाखा का नया प्रमुख भी नियुक्त किया गया। सरकार ने तीन अलग-अलग आदेशों में पुलिस के 33 वरिष्ठ अधिकारियों का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया।
उपराज्यपाल प्रशासन ने उपायुक्तों समेत प्रशासनिक स्तर पर भी बड़े पैमाने पर फेरबदल का आदेश दिया है।
इसी बीच जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे और मतगणना चार अक्टूबर को होगी।
निर्वाचन आयोग (ईसी) ने शुक्रवार को यह घोषणा की। साल 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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