बिहार के मुजफ्फरपुर की तरह देवरिया में बालिका गृह से सेक्स रैकेट संचालित होने का मामला रविवार की रात उस समय उजागर हुआ, जब बालिका गृह से भागकर एक बालिका महिला थाना पहुंची। पीड़ित बालिका की आपबीती सुनने के बाद एसपी के निर्देश पर संस्था से 24 बच्चों और महिलाओं को मुक्त कराते हुए बालिका गृह को सील कर दिया गया। साथ ही संचालिका, अधीक्षक समेत तीन को पुलिस ने देर रात गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का दावा है कि 18 बच्चे अभी भी इस संस्था से गायब है। जिनके बारे में जानकारी की जा रही है। मामला मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह के एनजीओ का है जहां अवैध रूप से 42 लड़कियों को रखा गया था और उनसे कथित रूप से देह व्यापार करवाया जाता था।
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महिला थाने पहुंची लड़की ने जो आपबीती सुनाई है वह बिलकुल मुजफ्फरपुर कांड से मिलती जुलती है। लड़की ने कहा कि संस्था में एक दीदी हैं। उन्हें बड़ी मैम रात को गाड़ी से कहीं भेजती थीं। जब दीदी सुबह में आती तो सिर्फ रोती थीं। कुछ भी पूछने पर बताती नहीं थी। हम लोगों से झाड़ू पोछा करवाया जाता था।
पुलिस ने लड़कियों को मुक्त कराते हुए संरक्षण गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी और उसके पति मोहन को गिरफ्तार कर लिया है और उन पर मानव तस्करी, देह व्यापार और बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। हैरानी की बात यह है कि अनियमितताओं के कारण गिरिजा त्रिपाठी के एनजीओ की मान्यता जून, 2017 में समाप्त कर दी गयी थी लेकिन अपने ऊंचे रसूख के कारण गिरिजा त्रिपाठी बालिका संरक्षण गृह का संचालन लगातार कर रही थी। ऐसी भी रिपोर्ट है कि सीबीआई ने भी संरक्षण गृह को अनियमितताओं में चिह्नित कर रखा है लेकिन संचालिका हाईकोर्ट से स्थगनादेश लेकर इसे चला रही है।
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संस्था की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने कहा कि उनका तीन साल से भुगतान नहीं किया गया है। भुगतान न मिलने के चलते वह संस्था को खाली नहीं कर रही थी। उनके ऊपर जो भी आरोप लग रहे हैं वह बेबुनियाद है।
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इस पूरे मामले में यूपी की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी का कहना है कि पिछले साल सीबीआई के इंस्पेक्शन के बाद यह पाया गया था कि देवरिया का शेल्टर होम अवैध तरीके से चल रहा है। लड़कियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने और इसे बंद करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। शेल्टर होम में कई अवैध गतिविधियां चल रही थीं। 1 अगस्त को एफआईआर दर्ज करवाई गई है। शेल्टर होम में पंजीकृत बच्चियों का सही रिकॉर्ड भी नहीं है। मामले की जांच चल रही है।
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अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) का कहना है, “ मामले की जांच की जाएगी। संबंधित जिला प्रशासन पहले ही कार्रवाई शुरू कर चुका है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भी मामले पर नज़र रखे हुए है। बच्चों को मेडिकल जांच के लिए भेजा जाएगा। सच्चाई को सामने लाया जाएगा।”
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