बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में जो बातें धीरे-धीरे निकल कर सामने आ रही हैं, वह किसी भी सभ्य समाज और सरकार के लिए शर्मसार कर देने वाली हैं। एनजीओ के आरोपी मालिक ब्रजेश ठाकुर को लेकर जो बातें सामने आई हैं, वह बेहद चौंका देने ली हैं। यह बात सामने आई है कि बालिका गृह चलाने वाले आरोपी एनजीओ के मालिक को राज्य सरकार हर साल एक करोड़ रुपये का अनुदान देती थी। अगर सिर्फ बालिका गृह की बात करें तो सरकार आरोपी को हार साल उसे 40 रुपये का अनुदान देती थी, ताकि बच्चियों की देखरेख ठीक से हो सके।
बताया जा रहा है कि ब्रजेश ठाकुर को खुला आश्रय के लिए हर साल 16 लाख, वृद्धाश्रम के लिए 15 लाख और अल्पावास के लिए 19 लाख रुपये के अनुदान मिलते थे। मामला सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग और बाल संरक्षण विभाग मौन है। कोई भी इन सवालों का जवाब देने को तैयार नहीं है। बालिक गृह में बच्चियों के साथ हो रहे यौन शोषण के अरोप में 31 मई को आरोपी एनजीओ मालिक ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हैरानी की बात यह है कि उसी दिन संस्था को एक बड़ा टेंडर भी हाथ लगा था।
यह बात भी सामने आई है कि ब्रजेश ठाकुर को वृद्धाश्रम, अल्पावास, खुला आश्रय और स्वाधार गृह के लिए भी टेंडर मिले हुए थे। जाहिर है इतने सारे टेंडर किसी एक एनजीओ को बिना सरकार की मदद के नहीं मिल सकते।
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बालिक गृह में बच्चियों के साथ हुई दरिंदगी पर विपक्ष सवाल कड़े कर रहा है, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “ ‘आश्वासन बाबू’ और ‘सुशासन बाबू’ की कहानी। हमने सुना है, कि जिसको चुना है, उसने ‘बेटी बचाओ’ का सिर्फ नारा ही दिया है।”
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वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी के दलित सांसद उदित राज ने भी नीतीश कुमार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “जिस घटना ने बिहार को कलंकित करने का काम किया है, उस घटना के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर पर श्री नीतीश कुमार जी के सरकार ने जो कृपा बरसाई है वो शर्मनाक है। कैसे कोई ब्रजेश ठाकुर किसी सरकार को इस तरह अपनी अंगुली पर नचा सकता है? बिहार में इसपर गहरा रोष है।”
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