हालात

मुजफ्फरपुर कांड: क्या प्रशासन की अनदेखी के बिना संभव था ऐसा जघन्य अपराध?  

मुजफ्फरपुर सिर्फ जिला मुख्यालय ही नहीं, यह कमिश्नरी मुख्यालय भी है। सवाल उठता है कि बहुत बड़ा प्रशासनिक अमला होते हुए भी ऐसा जघन्य कांड कैसे फलता-फूलता रहा? इतने बड़े प्रशासनिक व्यवस्था की आखिर विवशता क्या थी?

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया मुजफ्फरपुर कांड में प्रशासन की अनदेखी के बिना संभव था?

बेसहारा, मासूम, सेक्स से अज्ञान छोटी-छोटी उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म, उत्पीड़न और शारीरिक शोषण जैसी घटना वाला यह बालिका गृह किसी सुदूरवर्ती इलाके में नहीं था जो पुलिस प्रशासन की नजर से ओझल हो। यह बालिका गृह शहर के बीचों-बीच साहू रोड पर है जिसके चारों तरफ बाजार, दुकानें हैं, चहल-पहल वाला इलाका है।

देर रात में इसी बालिका गृह में नन्ही-नन्ही बच्चियों की चीख-पुकार पड़ोसियों तक पहुंचती थी। देर रात में बच्चियों को बाहर के होटलों, अय्याशों के अड्डों तक पहुंचाया जाता था और ‘पुलिस पेट्रोलिंग टीम’ को कुछ न दिखाई पड़ता था और न कुछ सुनाई, तभी तो बच्चियों की चीख-पुकार सुनने वाले पड़ोसियों ने भी पुलिस को सूचना देने की जहमत नहीं उठाई।

दरअसल, समूचे बिहार में पुलिस को सरकार ने नशाबंदी कानून को सख्ती से लागू कराने में लगा रखा है। ऐसे में इस तरह के जघन्य अपराध की रोकथाम के लिए पुलिस को फुरसत कहां। शराब पीने वाले बवाल तो नहीं काटे, उन्हें पुलिस पकड़कर वसूली करती या फिर जेल भेज देती, बल्कि पकड़े-गए शराब को छककर पीकर पुलिस वाले ही बवाल काटने से नहीं चुके।

Published: undefined

इस जघन्य और विचलित कर देने वाले कृत्य के मुखिया बृजेश ठाकुर और उनका सेवा संकल्प और विकास समिति (एनजीओ) के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी और उन पर कार्रवाई हुई। लेकिन वैसे लोग आज भी चैन से सो रहे हैं, जिन्होंने अपनी ड्यूटी नहीं निभाई, जिसके चलते ऐसे घृणित कृत्य पनपते रहे।

बहरहाल, मुजफ्फरपुर सिर्फ जिला मुख्यालय ही नहीं, यह कमिश्नरी मुख्यालय भी है और यहां पुलिस महकमे के आईजी तक पदस्थापित हैं तो वहीं कमिश्नर साहब भी विराजमान हैं। कलेक्टर और एसएसपी साहब तो हैं ही। इतना बड़ा प्रशासनिक अमला और उनके मातहतों के होते हुए भी ऐसे जघन्य कांड फलता-फूलता रहा। अब सवाल उठता है कि इतने बड़े प्रशासनिक व्यवस्था की आखिर विवशता क्या थी?

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined