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मुजफ्फरनगर दंगा: मुकदमा वापसी की कोशिशों से निराश हैं मुसलमान, जाट समुदाय में भी गुस्सा 

4 साल पहले हुए मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी बनाए गए बीजेपी नेताओं पर से मुकदमे वापस करने की कोशिश से एक तरफ दंगे में प्रभावित हुए लोग निराश हैं, तो दूसरी तरफ जाट समुदाय भी इसे लेकर गुस्से में है। 

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान पुलिस और पीड़ितों के बीच होती बहस (फाइल फोटो)

"उत्तर प्रदेश सरकार मुकदमा वापसी की सियासत कर रही है। यह बेहद अफसोसजनक है। क्या अब दंगा पीड़ितों को न्याय की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए? यह मुकदमे वापस होते हैं या नहीं यह बहुत महत्वपूर्ण बात है मगर शर्मनाक बात यह है कि सरकार ने ऐसा करने मे रुचि दिखाई है। दंगा पीड़ितों के जख्मों मे यह नमक छिडकने जैसे है। यहां इंसाफ सिसक रहा है।”

खालापार के अजमलउर्रहमान यह कहते हैं तो उनके चेहरे पर आई निराशा आसानी से पढ़ी जा सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से मुजफ्फनगर दंगों के दौरान अभियुक्त बनाये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद संजीव बालियान और दंगे के दौरान सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बुढ़ाना के विधायक उमेश मलिक के विरुद्ध दर्ज हुए मुकदमों में स्टेटस रिपोर्ट मांगी गयी है। इसमें अपराध की धाराएं, न्यायालय का नाम और वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी गई है। जानकारों के मुताबिक, इसे मुकदमा वापसी की प्राथमिक कार्रवाई माना जाता है।

4 साल पहले हुए मुजफ्फरनगर दंगे में आरोपी बनाए गए बीजेपी नेताओं से मुकदमे वापस होने की इस हलचल से नेताओं और उनके समर्थकों में जश्न का माहौल है। एक स्थानीय अखबार को दिए गये बीजेपी सांसद संजीव बालियान के बयान के अनुसार, सरकार मुकदमे वापस ले रही है। लेकिन एडीएम हरीश चंद्र ने अभी इसकी जानकारी होने से इंकार किया है। एसपी सिटी ओमवीर सिंह के अनुसार, पत्र मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।

5 जनवरी को पत्र जारी किया गया था। इसे न्याय विभाग के सचिव राजेश सिंह ने भेजा था और 12 जनवरी को यह डीएम कार्यालय में प्राप्त हुआ। पत्र में डीएम से जनहित में राय भी मांगी गयी है।

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पत्र में कुल 9 मुकदमों के बारे में जानकारी मांगी गयी है। इनमें चार मुकदमे फुगाना थाने के हैं। एक मुकदमा शाहपुर थाने से संबंधित है। यह कुटबा गांव का है। कुटबा वही गांव है जहां अल्पसंख्यकों के विरुद्ध सबसे पहले सामूहिक हिंसा हुई थी, जिसमें 8 लोगों की हत्या हो गयी थी। इसके बाद पुलिस जब भी गांव में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पहुंचती थी तो पुलिस का भारी विरोध होता था। संजीव बालियान इन मुकदमों में एक ही मामले में आरोपी हैं, मगर यहां से मुकदमे वापस होते हैं तो वे सबसे ज्यादा फायदे में रहेंगे। जानकारों का मानना है कि यह कार्रवाई इन्हीं को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है।

यह प्रकिया ऐसे समय पर हो रही है जब अदालत लगातार इन नेताओं को नोटिस जारी कर रही थी और इन्हें अदालत में पेशी देनी पड़ रही थी। अब अगर मुकदमे वापस हो जाते हैं तो इनको अदालत की हाजिरी से निजात मिल जाएगी।

डीजीसी क्रिमिनल दुष्यंत त्यागी के अनुसार, सरकार अपनी और से दर्ज कराये गये मुकदमों को वापस ले सकती है, मगर यह बहुत मुश्किल है। अदालत बहुत सारे मुद्दों पर गौर करती है। पहले भी ऐसे कुछ मामले में नकारात्मक जवाब मिल चुका है। इसलिए हो सकता है कि इनको भी लाभ न मिले।

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डीजीसी की बात में इसलिए भी दम लगता है क्योंकि पूर्व मे अखिलेश सरकार ने कुछ मुकदमे वापस करने की कोशिश की थी, जिन्हें अदालत से रोक दिया गया था। देवबंद के पूर्व विधायक मविया अली कहते हैं, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो अपने ही खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे को खत्म करने का काम किया।” उन्होंने आगे कहा, “मुजफ्फनगर दंगा लोकसभा चुनाव जीतने के लिए किया गया खूनी षड्यंत्र था।”

वे अपनी इस बात के पक्ष में तर्क देते हैं, “30 तारीख को संजीव बालियान और उमेश मलिक गिरफ्तार होकर जेल चले गये। 31 अगस्त और 7 सितंबर की पंचायत के वक्त भी वे जेल में ही रहे। इस दौरान दंगे में लोग मरते रहे। जब सबकुछ तबाह हो गया तो वे जेल से वापस आ गये। इसलिए दंगा पीड़ित के जरिये से किसी मामले मे यह नामजद नही है। सरकार जब चाहे अपने मुकदमे वापस ले सकती है।”

मुकदमा वापसी की चर्चाओं के बीच दंगा पीड़ित खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। सपा युवजन सभा के पूर्व जिलाअध्यक्ष शमशेर मलिक कहते हैं, “दंगा पीड़ितों को इंसाफ मिलना चाहिए। मुकदमे वापसी की यह कोशिश एकदम गलत हैं। इससे तो दंगा पीड़ितों को एक और चोट लगेगी।”

दंगे में ही दूसरे पक्ष से आरोपी बनाये गये वकील असद जमा कहते है, “फैसला न्यायालय पर छोड़ देना चाहिए। वरना लोगों का कानून से विश्वास उठ जायेगा। दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए।”

यह बात ऐसे समय पर सामने आई है जब मुजफ्फरनगर दंगों में समझौते की बात चल रही है और उसमें पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस कोशिश के बाद यहां के मुसलमानो में मायूसी का आलम है।

उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी बीजेपी नेताओं के मुकदमा वापसी की कोशिशों का मुस्लिम उलेमाओ के विरोध के बाद अब जाटों ने भी इस प्रकिया पर नाराजगी जताई है। किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने इसे एकदम गलत करार दिया है। नरेश दिवंगत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं।

शामली जनपद के एक गांव बधेव में जुटे जाट समुदाय के प्रभावशाली लोगों ने ऐलान किया कि जो लोग दंगे में शामिल थे, उनके उपर से मुकदमा वापस करने की यह कोशिश सुलह की कोशिशों को खत्म कर देगी।

शामली के बधेव गांव में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पंचायत हुई और इसमें खाप चौधरियों ने अपनी बात रखी। खाप चौधरियों की इस पंचायत मे बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने कहा, “इससे साफ होता है कि जनता का वोट लेने के लिए ही दंगा कराया गया।” इस पंचायत में गठवाला खाप के थाम्बेदार बाबा श्याम सिंह, कुलदीप पंवार, देवराज पहलवान और सतेंद्र कुमार ने भी शिरकत की।

नवजीवन से खास बातचीत में अशोक बालियान कहते हैं, “पहले जैसे वातावरण में वापसी के लिए यह बहुत जरूरी है कि सभी के मुकदमे वापस हों। अब अगर सिर्फ नेताओं के वापस होंगे तो यह सरासर अन्याय होगा। यहां प्यार-मोहब्बत कायम होने के लिए यह बहुत जरूरी है कि दोनों पक्षों के मुकदमों सहित दिलों के बैर भी खत्म हों।”

रालोद के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता अभिषेक चौधरी कहते हैं, “बीजपी नेताओं से मुकदमा वापसी की कोशिश से यहां तनाव और बढ़ जाएगा। इससे अविश्वास पैदा होगा। सरकार का यह फैसला बिल्कुल गलत है, हम इसका विरोध करेंगे।”

भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष राजू अहलावत थोड़ा और मुखर होकर कहते हैं, “मतलब मरेगी-कटेगी जनता और वे खायेंगे पेड़े, ऐसा नहीं हो सकता। मुकदमे सबके वापस होंगे, सिर्फ नेताओं के नहीं। बीजेपी के लोगों का खेल सबकी समझ मे आ गया है। यहां जाट-मुस्लिम सबके मुकदमे वापस होने चाहिए और सब आपस मे बैठकर गिले-शिकवे दूर करें। पहले जैसी बात आनी तो मुश्किल है, मगर दिल तो साफ हो। सब उन्हीं का किया-धरा है जो आज मुकदमे वापस लेने की कोशिश में लगे हैं।”

दरअसल इन सब बातों की अपनी एक मजबूत वजह है और जाटों की तरफ से मुकदमे वापसी की चर्चा पर कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। कुलदीप कहते हैं, “इनके मुकदमे क्यों वापस हों? हम ऐसा होने नहीं देंगे। गांव-गांव इसकी चर्चा हो रही है। बधेव की पंचायत में इसे बीजेपी की सरकार की दोहरी मानसिकता बताई गई। अब इसके लिए एक महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया गया है।” नरेश टिकैत ने नवजीवन को बताया, “इस कदम से सरकार की मंशा साफ है कि वोट लेने के लिए ही दंगा कराया गया। अब हम महापंचायत करेंगे और आगे की रणनीति का निर्णय होगा।”

बतीसा खाप के चौधरी सूरजमल ने भी नरेश टिकैत से सहमति जताई। उन्होंने कहा, “जान लगा देंगे, मगर सिर्फ नेताओं के मुकदमे वापस नही होंने देंगे।”

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