उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगे का बहाना कवाल गांव के जिस गौरव और सचिन हत्याकांड को बताया जाता है, उस मामले में बुधवार को मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने मृतक शाहनवाज के पक्ष के फुरकान, मुजस्सिम, मुजम्मिल, अफजल, इकबाल, जहांगीर और नदीम को हत्या का दोषी ठहराया है। अदालत 8 फरवरी को इन सभी की सजा का ऐलान करेगी। सभी दोषी मृतक शाहनवाज के परिवार से हैं। कोर्ट के फैसले से पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है और शाहनवाज के परिजन सदमे में हैं, क्योंकि उनकी इंसाफ की उम्मीद पूरी तरह टूट चुकी है। क्योंकि शाहनवाज की हत्या कर भाग रहे लोगों की हत्या करने वालों को तो कोर्ट ने दोषी ठहरा दिया, लेकिन शाहनवाज को अब तक इंसाफ नहीं मिला।
बता दें कि 5 साल पहले मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में मोटरसाइकिल टकराने को लेकर हुए विवाद के बाद गौरव और सचिन नाम के दो युवकों ने गांव के ही शाहनवाज की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद भीड़ ने दोनों को दौड़ाकर पकड़ लिया और पीट-पीटकर मार डाला था। इसके बाद मुजफ्फरनगर में भारी सांप्रदायिक तनाव फैल गया और जिले में महापंचायतों का दौर शुरू हो गया, जिसके बाद एक सप्ताह से ज्यादा दिनों तक जिला भीषण दंगे से जूझता रहा। इस दंगे में 60 से ज्यादा लोगो की मौत हुई और 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए।
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5 साल बाद आए जिला अदालत के फैसले के बाद कवाल में सन्नाटा पसरा है। कवाल में प्रमुख स्थानों पर पुलिस की तैनाती की गई है। जिन सात आरोपियों को दोषी करार दिया गया है वे सभी शाहनवाज के परिवार के ही हैं। इनमें दो शाहनवाज के सगे भाई हैं और दो उसके ताऊ के बेटे हैं। शाहनवाज के 70 वर्षीय पिता सलीम अब अपनी हिम्मत छोड़ चुके हैं। घटना के बाद सदमे में उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है।
स्थानीय लोगों से घिरे सलीम अदालत के फैसले पर कहते हैं, “मैं पूरी तरह बर्बाद हो चूका हूं। मेरे बेटे को इंसाफ नही मिला। मेरा एक बेटा मारा गया और दो आज तक जेल में हैं। बीवी सदमे में मर गई। बेटे के कातिल आज तक खुलेआम घूम रहे हैं। कोर्ट से उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए और वे अदालत के बाहर खड़े होकर मीडीया को बयान दे रहे हैं।“ उन्होंने सख्त लहजे में पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा, “पुलिस ने मेरे मुकदमे में एफआईआर दर्ज करने में कोताही की। बेटा तो मेरा भी मारा गया। साढ़े चार साल में अदालत में मेरी शिकायत स्वीकार हुई। मेरे घर में कोहराम है। मैंने न्याय की उम्मीद खो दी है। अब मेरा अल्लाह ही मेरे साथ इंसाफ करेगा।”
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घटना वाले दिन को याद करते हुए मृतक शहनवाज के चाचा अब्बू नसीम अहमद बताते हैं कि शाहनवाज की मलिकपुरे के गौरव से साईकिल टकराने को लेकर कहासुनी हो गयी थी। जिसके बाद गौरव ने कहा कि अपनी मां से पैदा है तो यहीं मिलना और उसके बाद वो अपने ममेरे भाई सचिन के साथ आया और शहनवाज को चाकू मार दिया। शोर मचने पर भाग रहे दोनों को भीड़ ने पकड़कर पीट-पीटकर मार डाला। नसीम बताते हैं कि चार साल से उनके बेटे जेल में हैं और अब 24 घंटे बाद सजा का ऐलान हो जाएगा। उनका एक बेटा मुजम्मिल विकलांग है। उनके बच्चों की जमानत पर सुनवाई तक नहीं हुई। वहीं पुलिस ने शहनवाज की हत्या के अन्य आरोपियों को जांच के दौरान ही क्लीनचिट दे दिया था।
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मृतक शाहनवाज के बड़े चाचा हाजी नसीम अब अपना मानसिक संतुलन लगभग खो चुके हैं। उनके भी दो बेटे जेल में हैं। कागज की अल्टी-पलटी करते रहते हैं और बात-बात पर घर वालों पर चिल्लाते हैं। उनके एक और भाई अब्दुल सत्तार कहते हैं, “पहले शाहनवाज का कत्ल हुआ और उसके 10 मिनट बाद ही गौरव और सचिन को भीड़ ने मार डाला। कानून के मुताबिक शाहनवाज की एफआईआर पहले लिखी जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस ने शाहनवाज की हत्या में फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिया। इस बारे में बात नहीं करता कि अगर शाहनवाज का कत्ल नहीं होता तो भीड़ सचिन और गौरव पर हमला क्यों करती?”
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मुजफ्फरनगर का कवाल 8 हजार की आबादी वाला एक मुस्लिम बहुल गांव है। यहां 3 हजार से ज्यादा कुरैशी बिरादरी के लोग हैं। 27 अगस्त को जिस शाहनवाज का गौरव और सचिन ने कत्ल किया वह भी कुरेशी बिरादरी से ही था। हालांकि गौरव और सचिन को मारने वाले सभी कुरैशी नहीं थे।
शाहनवाज के घर से लगभग 100 मीटर आगे चोराहे पर गौरव और सचिन की भीड़ को हाथों हुई हत्या के बाद मुजफ्फरनगर में भारी सांप्रदायिक तनाव हो गया था और उसके बाद हुए सिसिलेवार महापंचायतों के बाद इलाके में भीषण दंगे हुए थे। 2014 में देश की सरकार बदलने के पीछे इस दंगे की बड़ी भूमिका मानी जाती है। जानकारों का कहना है कि इस घटना से एक राजनीतिक दल को घ्रुवीकरण करने में बड़ी मदद मिली।
गौरतलब है कि अदालत का यह फैसला ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार दंगे के 38 मुकदमे वापस लेने की घोषणा कर चुकी है। इसको राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है। इन मुकदमों में नामजद युवक जाट समुदाय से आते हैं। कवाल के लोग मानते हैं कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है। मृतक शाहनवाज के चाचा अब्दुल सत्तार कहते हैं, “अब चुनाव आने वाले हैं, इसलिए एक पक्ष पर ज्यादती हो रही है और दूसरे पक्ष को मदद पहुंचाई जा रही है। इंसाफ नहीं होने की वजह से हम बुरी तरह परेशान हो चुके हैं।”
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