मुजफ्फरनगर दंगा मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 12 दोषियों को मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने सजा सुनाई है। 9 साल बाद सभी दोषियों को दो साल की जेल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। साल 2013 में हुए दंगा मामले में 15 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए। तीन साल से कम सजा होने की वजह से बीजेपी नेता विक्रम सैनी को कोर्ट से जमानत भी मिल गई।
मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को ममेरे भाई गौरव और सचिन की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड के बाद ठीक अगले ही दिन यानी 28 अगस्त को वहां पर दंगा भड़क गया था। 28 अगस्त को सचिन और गौरव की अंत्येष्टि से लौटते लोगों ने कवाल में मारपीट और तोड़ फोड़ की थी। इसके बाद कवाल में दोनों समुदाय के लोगों के बीच बहस हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जबकि 15 लोग मौके से फरार हो गए।
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दंगे के दौरान जमकर बवाल हुआ था। आगजनी और लूटपाट की घटनाएं भी हुईं थीं। उपद्रियों को काबू करने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। इसके बाद दंगा और भड़क गया था। मामले में जानसठ पुलिस स्टेशन के तत्कालीन इंचार्ज शैलेंद्र कुमार ने बीजेपी नेता विक्रम सैनी समेत 27 लोगों पर गंभीर धाराओं में नामजद मुकदमा केस दर्ज किया था।
कई दिनों तक हालात बेकाबू रहे। दंगा इतना बड़क गया था कि शांति व्यवस्था बनाने के लिए जिले में सेना को बुलाना पड़ा था। बीजेपी के मौजूदा विधायक विक्रम सैनी को बलकटी के साथ पकड़ा था। इसके अलावा आरोपित धर्मवीर और सलेकचंद को बल्लम, रविन्द्र को फरसा और नूर मोहम्मद को तलवार के साथ और रोहताश, सोनू, दीपक, प्रवीण को डंडे को के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में कुल 24 लोगों को नामजद किया गया था।
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