उत्तर प्रदेश के एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा और सरधना के बीजेपी विधायक संगीत सोम के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर दर्ज केसों को खत्म करने की मंजूरी दे दी। दोनों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर साल 2013 में हुए दंगों को भड़काने के आरोप में मुकदमा चल रहा था।
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बता दें कि 27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के मलिकपुरा इलाके में ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी। इसके खिलाफ नंगला मंदौड में महापंचायत हुई थी। इस पंचायत के बाद ही जिले में दंगा भड़का था। पुलिस ने उस महापंचायत में शामिल सुरेश राणा जो अभी बीजेपी सरकार में गन्ना मंत्री हैं, सरधना से बीजेपी विधायक संगीत सोम, बिजनौर के पूर्व सांसद भारतेंद्र सिंह, साध्वी प्राची और श्यामपाल के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा दर्ज किया था।
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उत्तर प्रदेश की बीजेपी की योगी सरकार ने इसी साल की शुरुआत में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और कपिल देव के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मंजूरी दी थी। जिसके बाद सरकारी वकील राजीव शर्मा ने मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था ताकि अदालत से इन मुकदमों को खत्म किया जा सके। इसी प्रार्थना पत्र पर आज अपना आदेश देते हुए अदालत ने दोनों लोगों को खिलाफ मुकदमा खत्म करने का आदेश जारी कर दिया।
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गौरतलब है कि 27 अगस्त 2013 के दिन मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में एक भीड़ ने सचिन और गौरव नाम के दो युवकों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। दोनों की हत्या का आरोप शाहनवाज कुरैशी नाम के एक स्थानीय युवक पर लगा था। इस घटना के बाद 7 सितंबर 2013 के दिन नगला मंदोर गांव के इंटर कॉलेज में जाट समुदाय की एक महापंचायत बुलाई गई थी, जिसमें इन दोनों नेताओं के अलावा बीजेपी और हिंदू संगठनों के कई नेता शामिल हुए थे। इसी पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में दंगा भड़क गया था।
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