बिहार के मुंगेर में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई फायरिंग के मामले में सीआइएसएफ की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है। सीआइएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पुलिस से बड़ी चूक हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, मूर्ति विसर्जन के दौरान 26 अक्टूबर को पुलिस ने ही गोली चलाई थी। खबरों के मुताबिक, इसी रिपोर्ट के आधार पर मुंगेर के पूर्व एसपी लिपि सिंह पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। घटना के बाद एसपी लिपि सिंह ने दावा किया था कि उपद्रव कर रहे लोगों की फायरिंग से युवक की मौत हुई थी। लेकिन रिपोर्ट में ठीक इसके उलट बात है।
Published: 30 Oct 2020, 8:52 AM IST
सीआईएसएफ की रिपोर्ट मे कहा गया है कि 26 अक्तूबर की रात 11 बजकर 20 मिनट पर सीआईएसएफ के 20 जवानों की टुकड़ी को मूर्ति विसर्जन की सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिला स्कूल के कैंप से भेजा गया था। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य पुलिस ने इन 20 जवानों को 10-10 के दो टुकड़ी में बांट दिया। इनमें से एक ग्रुप को एसएसबी और बिहार पुलिस के जवानों के साथ दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया था।
Published: 30 Oct 2020, 8:52 AM IST
रिपोर्ट के मुताबिक, 26 अक्टूबर की रात को करीब 11 बजकर 45 मिनट पर विसर्जन यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और स्थानीय पुलिस के बीच विवाद शुरू हुआ। विवाद के बाद कुछ श्रद्धालुओं ने पुलिस और सुरक्षाबलों पर पथराव शुरू कर दिया। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मामला बढ़ने के बाद पुलिस की ओर से हालात को काबू में करने के लिए सबसे पहले हवाई फायरिंग की गई। ऐसे में श्रद्धालु भड़क गए और पथराव करने लगे।
Published: 30 Oct 2020, 8:52 AM IST
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्ट में सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया पर इंसास राइफल से 5.56 एमएम की 13 गोलियां हवा में फायर करने का आरोप लगाया गया है। खबरों के मुताबिक, यही वजह है कि भीड़ बेकाबू हो गई और मामला बिगड़ गया।
Published: 30 Oct 2020, 8:52 AM IST
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Published: 30 Oct 2020, 8:52 AM IST