छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना को लेकर एमवीए (महा विकास अघाड़ी) ने मुंबई में हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक विरोध मार्च निकाला। इस प्रदर्शन को जोड़े मारो (जूता मारो) आंदोलन नाम दिया गया। बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता इस प्रदर्शन में शामिल हुए। एनसीपी-एससीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले और अन्य नेता भी शामिल हुए।
प्रदर्शन के दौरान उद्धव ठाकरे और नाना पटोले समेत अन्य नेताओं ने सीएम शिंदे और अजित पवार के पोस्टर को जूतों से सांकेतिक तौर पर पीटा। उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाना साधा। उन्होंने कहा की मोदी की माफी अंहकार से भरी हुई है।
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वहीं, शरद पवार ने कहा कि शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरना भ्रष्टाचार का उदाहरण है। एनसीपी-एससीपी नेता राजेश टोपे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र का गौरव और आत्मा हैं। मुझे लगता है कि इस घटना ने आत्मा और गौरव को आहत किया है। हमारा विरोध मार्च लोकतंत्र का हिस्सा है। इसकी इजाजत न देना लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है।
प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस नेता भाई जगताप ने कहा कि यह भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि के रूप में जानी जाती है, उनकी मूर्ति गिर गई और उन्हें इस पर कोई शर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कह रही है कि इसका राजनीतिकरण न करें, लेकिन अगर बीजेपी समर्थन में विरोध कर रही है, तो उन्हें शर्म आनी चाहिए। महाराष्ट्र के लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे।
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सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में स्थापित की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई थी। 4 दिसंबर, 2023 को इस प्रतिमा का अनावरण किया गया था। खुद पीएम मोदी, रक्षामंत्री और सीएम सिंधुदुर्ग में प्रतिमा का अनावरण करने आए थे। मूर्ति के गिरने के बाद राज्य की बीजेपी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार घिर गई है। भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। इस मुद्दे पर घिरी राज्य सरकार जवाब नहीं दे पा रही है। वहीं विपक्ष चौतरफा हमलावर है और विरोध-प्रदर्शन कर रहा है और सरकार से जवाब मांग रहा है।
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