रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समयसीमा खत्म होने से एक दिन पहले स्वीडन की कंपनी एरिक्सन का बकाया चुका दिया और इस तरह वे जेल जाने से बच गए। आरकॉम ने सोमवार को टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली स्वीडिश कंपनी एरिक्सन को 458.77 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान कर दिया। इस राशि में जुर्माना और ब्याज की रकम भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी को आदेश दिया था कि अगर चार सप्ताह में अनिल अंबानी ने पूरी रकम नहीं चुकाई तो उन्हें तीन महीने के लिए जेल भेज दिया जाएगा। एरिक्सन के साथ बकाया भुगतान मामले में उन्हें अदालत की अवमानना का भी दोषी पाया गया था।
इस भुगतान के बाद अनिल अंबानी ने संकट की इस घड़ी में मदद के लिए अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी, भाभी नीता अंबानी को धन्यवाद दिया। अनिल अंबानी ने कहा, 'संकट की इस घड़ी में मेरे साथ खड़े रहने के लिए मैं अपने बड़े भाई मुकेश और भाभी नीता को धन्यवाद कहता हूं। ऐसे मौके पर मदद करके उन्होंने यह दिखाया कि अपने पारिवारिक मूल्यों के प्रति और अपने पारिवारिक मूल्यों के प्रति सच्चाई के साथ खड़े रहना कितना जरूरी है। मैं और मेरा परिवार खुश हैं कि हम पुरानी बातों से आगे निकल आए हैं और बड़े भाई के इस कदम के आभारी हैं।'
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इस बीच एरिक्सन के प्रवक्ता ने कहा कि उनकी कंपनी को बकाए के रूप में शेष 458.77 करोड़ रुपये का पेमेंट आरकॉम से मिल गया है। अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम पर कुल 571 करोड़ का बकाया था, जिसमें से 550 करोड़ रुपये वनटाइम सेटलमेंट के और 21 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में जुड़े थे। आरकॉम पहले ही एरिक्सन को 118 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी थी।
आरकॉम का टेलीकॉम नेटवर्क संभालने के लिए एरिक्सन ने 2014 में कंपनी के साथ सात साल का करार किया था। बाद में एरिक्सन ने आरोप लगाया कि आरकॉम ने उसके 1,500 करोड़ रुपये नहीं चुकाए हैं। 2018 में दिवालिया प्रक्रिया के तहत एरिक्सन महज 550 करोड़ रुपये में मामले को निपटाने पर राजी हो गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर तक आरकॉम को भुगतान का निर्देश दिया था। हालांकि, कंपनी इस डेडलाइन तक सिर्फ 118 करोड़ रुपये दे सकी थी।
एरिक्सन से छुटकारा पाने वाले अनिल अंबानी की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल ने भी उनके खिलाफ एनसीएलटी जाने की तैयारी में है। निगम ने कहा है कि वह इसी सप्ताह आरकॉम पर बकाया 700 करोड़ वसूलने के लिए कंपनी ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाएगा।
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