मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है। उन पर राज्य के खरगौन में हुई हिंसा के लिए लोगों को भड़काने का आरोप लगाया गया है। सूत्रों का कहना है कि आज शाम तक एफआईआर दर्ज हो जाएगी और इसका ऐलान भी किया जाएगा।
सूत्रो के मुताबिक दिग्विजय सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने) और शांति भंग करने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। दरअसल दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में एक फोटो शेयर किया था जिसमें भगवाधारी लोग एक मस्जिद पर हमला कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि यह खरगौन का फोटो है। लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि फोटो मध्य प्रदेश के खरगौन का नहीं बल्कि बिहार के मुजफ्फरपुर का है तो उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन इसे आधार पर बनाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर खरगौन हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि मिश्रा अकसर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कई किस्म के बयान देते रहते हैं। उन्होने कहा कि इस बारे में कानून विशेषज्ञों से सलाह मशविरा किया जा रहा है।
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खरगौन में हुई हिंसा के सिलसिले में अभी तक 90 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से अधिकतर मुस्लिम हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों पर हिंसा फैलाने और पत्थरबाजी के आरोप हैं। घटना के बाद से शिवराज सरकार ने आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाने का आदेश दिया था, जो दूसरे दिन भी जारी रहा।
इस बीच कांग्रेस ने बीजेपी पर करारा प्रहार किया है। राज्य कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के शासन में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने खरगौन हिंसा की जांच के लिए कांग्रेस की पांच सदस्यीय एक कमेटी भी बनाई है। लेकिन इस कमेटी के सदस्यों को हिंसाग्रस्त इलाके में धारा 144 का हवाला देकर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
इस दौरान दिग्विजय सिंह ने भी कहा है कि बिना सभी पक्षों की दलील सुने ही बुलडोजर चलाना गलत है। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार सिर्फ धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव कर रही है।
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दिग्विजय सिंह ने दिल्ली के बीजेपी नेता कपिल मिश्रा पर भी निशाना साधा जिन्होंने खरगौन में भड़काव भाषण दिया था।
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मध्य प्रदेश कांग्रेस ने बीजेपी पर हिंसा फैलने और भड़काने का आरोप लगाया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार के पास पहले से ठोस खुफिया रिपोर्ट थी कि रामनवमी पर कुछ हिंसा हो सकती है इसके बावजूद सरकार ने मुस्लिम बहुल इलाकों से रामनवमी का जुलूस निकालने की अनुमति दी। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा कि आखिर सरकार ने ऐसा क्यों किया?
उन्होंने कहा, “दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने रामनवमी के जुलूस में आपत्तिजनक नारे लगाए और लोगों को भड़काया, इसके बाद ही पथराव की घटना हुई जो कि सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीर जांच के बाद सभी पक्षों को न्याय मिलना चाहिए।
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