विशाखापत्तनम स्टील प्लांट (वीएसपी) को बेचने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ जारी कर्मचारियों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। विरोध आंदोलन शनिवार को 150वें दिन में पहुंच गया। वहीं ग्रेटर विशाखापत्तनम नगर निगम (जीवीएमसी) में भी ये विरोध प्रदर्शन 100वें दिन मेंं प्रवेश कर गया है।
शनिवार को कई स्टील प्लांट के कर्मचारियों और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने निजीकरण योजना की वापस के लिए केंद्र सरकार को संदेश भेजने के लिए 30 किलोमीटर की दोपहिया रैली निकाली। हजारों लोगों की यह रैली कुर्मन्नापलेम, वडलामुडी, गजुवाका और अन्य स्थानों से होकर गुजरी। जहां-जहां से यह रैली गुजरी, वहां-वहां से इसमें और लोग शामिल होते गए।
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रैली में भाग ले रहे एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के अनुरोध और विधानसभा के एक प्रस्ताव सहित मुख्यमंत्री द्वारा लिखे गए दो पत्रों की अनदेखी की है। एक अन्य आंदोलनकारी ने ऐलान किया कि सार्वजनिक क्षेत्र में इस्पात संयंत्र जारी रहने तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं होंगे। उन्होंने चेतावनी दी, "विशाखापत्तनम विरोध आंदोलनों का जन्मस्थान है और हम केंद्र सरकार की गर्दन झुकाने के लिए तैयार हैं।"
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इसी तरह, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निजीकरण की नीतियों का पालन कर रहे हैं और कई सरकारी कंपनियों को बेचने का सहारा ले रहे हैं। अपनी निजीकरण योजनाओं को वापस लेने के लिए पीएम को नसीहत देते हुए उन्होंने याद दिलाया कि कई किसानों ने इस्पात संयंत्र के लिए अपनी जमीन का त्याग किया था।
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आंध्र प्रदेश के बंदरगाह शहर में विरोध रैली में हजारों प्रदर्शनकारियों ने अपनी मोटरसाइकिलों के साथ भाग लिया। विशापट्टनम जिले की सड़कों पर से जब ये रैली गुजरी तो ऐसा लगा जैसे कोई जनसैलाब उमड़ पड़ा हो। विजाग प्लांट के कर्मचारियों के इस आंदोलन को स्थानीय लोगों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है।
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