गुजरात के उना में रविवार को करीब 450 दलितों ने रविवार को धर्म परिवर्तन कर लिया। अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के चलते मोटा समाधियाला गांव के करीब 50 दलित परिवारों के अलावा गुजरात के अन्य क्षेत्रों से आए दलितों ने एक समारोह में बौद्ध धर्म अपना लिया। इन परिवारों का आरोप है कि उन्हें हिंदू नहीं माना जाता, मंदिरों में नहीं घुसने दिया जाता, इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।
Published: 30 Apr 2018, 9:56 AM IST
समारोह के आयोजक का दावा है कि कि इसमें 450 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया। इस समारोह में 1000 से अधिक दलितों ने हिस्सा लिया था। बौद्ध धर्म ग्रहण करने वालों में बालू भाई सरवैया और उनके बेटों रमेश और वश्राम के अलावा उनकी पत्नी कंवर सरवैया भी शामिल हैं। बालू भाई के भतीजे अशोक सरवैया और उनके एक अन्य रिश्तेदार बेचर सरवैया ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन हिन्दू धर्म छोड़ दिया था। ये दोनों भी उन सात लोगों में शामिल थे, जिनकी खुद को गौरक्षक बताने वालों ने पिटाई की थी।
रमेश ने कहा कि हिन्दुओं द्वारा उनकी जाति को लेकर किये गए भेदभाव के कारण उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि, ‘‘हिन्दू गौरक्षकों ने हमें मुस्लिम कहा था, हिन्दुओं के भेदभाव से हमें पीड़ा होती है और इस वजह से हमने धर्म परिवर्तन का फैसला किया। यहां तक कि राज्य सरकार ने भी हमारे खिलाफ भेदभाव किया क्योंकि उत्पीड़न की घटना के बाद जो वादे हमसे किये गए थे, वे पूरे नहीं हुए।’’
रमेश ने कहा, ‘‘हमें मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाता है। हिन्दू हमारे खिलाफ भेदभाव करते हैं और हम जहां भी काम करते हैं, वहां हमें अपने बर्तन लेकर जाना पड़ता है। उना मामले में हमें अब तक न्याय नहीं मिला है और हमारे धर्म परिवर्तन के पीछे कहीं - न - कहीं यह भी एक कारण है।
Published: 30 Apr 2018, 9:56 AM IST
इस घटना पर तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई हैं। बीजेपी सांसद उदित राज ने कहा है कि, “सामाजिक न्याय का आलम यह है कि सिर्फ मूंछे रखने पर ही दलितों की पिटाई की जा रही है। मुझे नहीं लगता कि उनके पास कोई और विकल्प बचा है। यह एक खतरनाक स्थितित है।”
Published: 30 Apr 2018, 9:56 AM IST
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Published: 30 Apr 2018, 9:56 AM IST